Written by- Sakshi Srivastava
आपका विवरण सही है। संसद का शीतकालीन सत्र 26 नवंबर को संविधान दिवस के मौके पर आयोजित विशेष कार्यक्रम के कारण शुरू नहीं हो सका था, और 27 नवंबर को कार्यवाही का पहला दिन था। हालांकि, हंगामे के चलते संसद की कार्यवाही स्थगित हो गई थी। यह अक्सर होता है जब सदन में राजनीतिक मुद्दों या अन्य विवादों को लेकर शोर-शराबा होता है, जिससे कामकाजी प्रक्रिया प्रभावित होती है।
विपक्ष का हंगामा, खासकर अदाणी और संभल बवाल के मुद्दे पर, लोकसभा की कार्यवाही को बाधित करता रहा, जिसके कारण लोकसभा अध्यक्ष ने पूरे दिन के लिए सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी। यह आमतौर पर तब होता है जब सदन में कोई गंभीर राजनीतिक मुद्दा या विवाद उठता है और इसे लेकर विपक्ष के सदस्य शोर मचाते हैं, जिससे कार्यवाही जारी रखना मुश्किल हो जाता है। इस प्रकार के हंगामे संसद की कार्यवाही में व्यवधान उत्पन्न कर सकते हैं और कई बार सत्र को स्थगित करने का निर्णय लिया जाता है।
राज्यसभा भी विपक्ष के हंगामे के कारण सुबह 11:30 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई। विपक्षी सांसदों ने अदाणी मामले और अन्य मुद्दों पर जोरदार विरोध किया, जिससे सदन की कार्यवाही में विघ्न पड़ा। इस बीच, कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने उद्योगपति गौतम अदाणी की गिरफ्तारी की मांग की है, जिसे लेकर उन्होंने सरकार पर आरोप लगाए हैं।राहुल गांधी और विपक्षी दलों का आरोप है कि अदाणी से जुड़े मामलों में सरकार की भूमिका की जांच होनी चाहिए, और इस संदर्भ में कार्रवाई की जरूरत है।
लोकसभा में विपक्ष के हंगामे के चलते सदन की कार्यवाही दोपहर 12 बजे तक स्थगित कर दी गई। विपक्षी सदस्य अदाणी, संभल, मणिपुर और बेरोजगारी जैसे अहम मुद्दों पर नारेबाजी कर रहे थे, जिसके कारण प्रश्नकाल भी नहीं चल पाया। विपक्ष सरकार से इन मुद्दों पर स्पष्ट जवाब की मांग कर रहा था, लेकिन शोर-शराबे के चलते सदन की कार्यवाही बाधित हो गई। यह स्थिति अक्सर तब उत्पन्न होती है जब विपक्षी दल किसी खास मुद्दे को लेकर दबाव बनाने के लिए विरोध प्रदर्शन करते हैं, जिससे सदन की कार्यवाही रुक जाती है।
संसद की कार्यवाही शुरू होते ही विपक्ष ने मणिपुर और गौतम अदाणी के मुद्दे पर हंगामा करना शुरू कर दिया। विपक्ष इन मुद्दों को लेकर सरकार से जवाब की मांग कर रहा था, जिससे सदन की कार्यवाही प्रभावित हुई। मणिपुर में जारी हिंसा और अदाणी समूह से जुड़े विवादों को लेकर विपक्ष लगातार सरकार पर हमलावर है, और इन मामलों पर चर्चा करने की मांग कर रहा है। इस प्रकार के हंगामे के कारण संसद की कार्यवाही स्थगित या प्रभावित हो सकती है, जब तक कि स्थिति शांत नहीं होती।
शिवसेना (यूबीटी) के सांसद संजय राउत ने हाल ही में ईवीएम (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) पर सवाल उठाए और कहा कि यह देश में धोखाधड़ी का कारण है। उन्होंने दावा किया कि भाजपा को ईवीएम की मदद से सत्ता में बने रहने का अवसर मिलता है, और अगर ईवीएम नहीं होती, तो भाजपा को पूरे देश में 25 सीटें भी नहीं मिलतीं। राउत ने यह भी कहा कि महाराष्ट्र और हरियाणा के चुनाव परिणामों को वे स्वीकार नहीं करते और बैलेट पेपर के जरिए चुनाव करवाने की मांग की। उनका मानना है कि बैलेट पेपर से चुनाव होने पर जो भी परिणाम आएंगे, वे उसे स्वीकार करेंगे। यह बयान भाजपा द्वारा पहले ईवीएम के खिलाफ उठाए गए सवालों का संदर्भ देता है, जब कांग्रेस सत्ता में थी।