
दिल्ली डेस्क
“संसद के मानसून सत्र 2025 से पहले दिल्ली में संसद परिसर में सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए NSG, NDRF, दिल्ली पुलिस और अग्निशमन सेवा ने संयुक्त रूप से मॉक ड्रिल आयोजित की।”
21 जुलाई से शुरू होने वाले संसद के मानसून सत्र से पहले, 19 जुलाई को दिल्ली के संसद परिसर में एक व्यापक मॉक ड्रिल आयोजित की गई। यह अभ्यास आपातकालीन परिस्थितियों, विशेष रूप से आतंकी हमले या अन्य सुरक्षा खतरों से निपटने की तैयारियों का आकलन करने और सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने के लिए किया गया। इस मॉक ड्रिल में राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (NSG), राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF), दिल्ली पुलिस, और दिल्ली अग्निशमन सेवा ने हिस्सा लिया।
क्या है मॉक ड्रिल का उद्देश्य
मॉक ड्रिल का मुख्य उद्देश्य संसद भवन की सुरक्षा व्यवस्था की जांच करना और आपातकालीन स्थिति में विभिन्न एजेंसियों के बीच समन्वय को परखना था। हाल के महीनों में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले (22 अप्रैल 2025) के बाद, जिसमें 27 पर्यटकों की मौत हुई थी, भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ गया है। इस घटना ने सुरक्षा एजेंसियों को और अधिक सतर्क कर दिया है। गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्र-शासित प्रदेशों को आपातकालीन तैयारियों के लिए मॉक ड्रिल आयोजित करने का निर्देश दिया था, और यह अभ्यास उसी दिशा में एक कदम है।
मॉक ड्रिल की प्रमुख विशेषताएं
आतंकी हमलों से निपटने के लिए विशेष रूप से प्रशिक्षित NSG कमांडो ने संसद परिसर में संभावित हमले के परिदृश्य का अनुकरण किया।
NDRF: आपदा प्रबंधन और बचाव कार्यों की तैयारियों का परीक्षण करने के लिए NDRF की टीमें तैनात की गईं। परिसर की सुरक्षा और भीड़ प्रबंधन के लिए दिल्ली पुलिस ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। आग लगने या अन्य आपात स्थिति में त्वरित प्रतिक्रिया के लिए अग्निशमन सेवा की टीमें मौजूद थीं।
मॉक ड्रिल में आतंकी हमले, आगजनी, और अन्य आपातकालीन परिस्थितियों का अनुकरण किया गया। इसमें ब्लैकआउट (पूरी तरह से बिजली बंद करना) और निकासी योजनाओं की जांच शामिल थी। अभ्यास के दौरान यह देखा गया कि अगर संसद परिसर में बिजली पूरी तरह बंद हो जाए, तो सुरक्षा और बचाव कार्य कैसे किए जाएंगे। आपातकालीन निकासी योजनाओं और सिविल डिफेंस की प्रतिक्रिया का भी परीक्षण किया गया।
मॉक ड्रिल संसद भवन के अंदर और बाहर दोनों जगह आयोजित की गई। संसद के बाहर NSG, NDRF, दिल्ली पुलिस, और अग्निशमन सेवा के वाहन तैनात थे। यह अभ्यास 19 जुलाई को सुबह 10 बजे के आसपास शुरू हुआ, जैसा कि विभिन्न समाचार एजेंसियों ने X पर पोस्ट किया।
पहलगाम हमले का प्रभाव
22 अप्रैल को पहलगाम में लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े आतंकियों द्वारा किए गए हमले ने देश में सुरक्षा चिंताओं को बढ़ा दिया। इस हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कई कदम उठाए, जैसे सिंधु जल समझौते को स्थगित करना और पाकिस्तानी जहाजों को भारतीय बंदरगाहों में प्रवेश पर रोक लगाना। गृह मंत्रालय ने 7 मई 2025 को देश के 244 जिलों में मॉक ड्रिल आयोजित करने का निर्देश दिया था, जिसका उद्देश्य नागरिक सुरक्षा तंत्र की तैयारियों को मजबूत करना था। संसद परिसर में यह ड्रिल उसी व्यापक योजना का हिस्सा है।
सुरक्षा जागरूकता
यह मॉक ड्रिल न केवल सुरक्षा बलों की तैयारियों को परखने का अवसर प्रदान करता है, बल्कि जनता और संसद में मौजूद कर्मचारियों में सुरक्षा जागरूकता बढ़ाने में भी मदद करता है। मानसून सत्र (21 जुलाई से 21 अगस्त) के दौरान कई संवेदनशील मुद्दों, जैसे पहलगाम हमला, ऑपरेशन सिंदूर, और मणिपुर में राष्ट्रपति शासन, पर चर्चा होने की संभावना है। ऐसे में संसद की सुरक्षा सुनिश्चित करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। विभिन्न एजेंसियों के बीच समन्वय को मजबूत करने के लिए इस तरह के अभ्यास आवश्यक हैं, विशेष रूप से तब जब देश में आतंकी खतरों और भू-राजनीतिक तनावों का खतरा बढ़ रहा हो।
संसद परिसर में आयोजित यह मॉक ड्रिल सुरक्षा तैयारियों को और मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। पहलगाम हमले और ऑपरेशन सिंदूर जैसे मुद्दों के कारण संसद का आगामी मानसून सत्र संवेदनशील होने की संभावना है, और इस ड्रिल ने यह सुनिश्चित किया कि आपात स्थिति में संसद भवन और इसके आसपास की सुरक्षा व्यवस्था पूरी तरह तैयार है। यह अभ्यास न केवल सुरक्षा बलों की दक्षता को परखता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि भारत सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर कितनी सजग है।