
सावन शिवरात्रि, जो इस वर्ष 23 जुलाई को मनाई जाएगी, भगवान शिव की उपासना का विशेष पर्व है। इस दिन शिवलिंग पर चंदन लगाने की परंपरा अत्यंत पुण्यकारी मानी जाती है, क्योंकि चंदन शीतलता, शुद्धता और भक्ति का प्रतीक है। ज्योतिष और पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, शिवलिंग के विशिष्ट स्थानों पर चंदन लगाने से जीवन में सुख, समृद्धि, और मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।
शिवलिंग की 6 पवित्र जगहें और चंदन लगाने के लाभ
शिवलिंग का सबसे ऊपरी भाग लाभ इस स्थान पर चंदन लगाने से मानसिक शांति और स्थिरता प्राप्त होती है। यह एकाग्रता बढ़ाने में सहायक है और तनाव या निर्णय लेने में कठिनाई का सामना करने वालों के लिए विशेष रूप से लाभकारी है। यह बुद्धि को तीव्र करता है और सही दिशा में सोचने की शक्ति प्रदान करता है।
कैसे लगाएं
चंदन का लेप या तिलक शिवलिंग के शीर्ष पर लगाएं और “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करें। जलाधारी का वह स्थान जहां से जल बहता है (माता पार्वती का स्थान) लाभ.. इस स्थान पर चंदन लगाने से घर में सुख-समृद्धि और धन-धान्य की वृद्धि होती है। यह दांपत्य जीवन में मधुरता लाता है और आर्थिक समस्याओं से मुक्ति दिलाता है।
जलाधारी के इस हिस्से पर चंदन का तिलक लगाएं और माता पार्वती और भगवान शिव की कृपा के लिए प्रार्थना करें।
शिवलिंग का मध्य भाग लाभ
मध्य भाग पर चंदन लगाने से सभी कष्ट दूर होते हैं और स्वास्थ्य में सुधार होता है। विशेष रूप से, बार-बार बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए यह उपाय शुभ है। मध्य भाग पर चंदन का लेप लगाएं और महामृत्युंजय मंत्र का 108 बार जाप करें।
शिवलिंग का पिछला भाग लाभ इस स्थान पर चंदन लगाने से शत्रु बाधा दूर होती है और परिवार में सुख-शांति स्थापित होती है। यह स्थान रक्षा और सुरक्षा का प्रतीक है। शिवलिंग के पिछले हिस्से पर चंदन का तिलक लगाएं और सुरक्षा के लिए शिव मंत्रों का जाप करें।
चंदन लगाने से शुभ परिणाम
जलाधारी का दायां ऊपरी हिस्सा (गणेश जी का स्थान) लाभ इस स्थान पर चंदन लगाने से शुभ परिणाम मिलते हैं, जैसे कि बुद्धि, सफलता और विघ्नों का नाश। यह स्थान गणेश जी को समर्पित है, जो सभी बाधाओं को दूर करते हैं। जलाधारी के दाएं ऊपरी हिस्से पर चंदन लगाएं और गणेश मंत्र “ॐ गं गणपतये नमः” का जाप करें।
जलाधारी का बायां ऊपरी हिस्सा (कार्तिकेय जी का स्थान) लाभ इस स्थान पर चंदन लगाने से साहस, शक्ति और बुद्धि की प्राप्ति होती है। यह उन लोगों के लिए विशेष रूप से लाभकारी है जो जीवन में आत्मविश्वास और नेतृत्व क्षमता बढ़ाना चाहते हैं। जलाधारी के बाएं ऊपरी हिस्से पर चंदन का तिलक लगाएं और कार्तिकेय मंत्र “ॐ कार्तिकेय नमः” का जाप करें।
सावन शिवरात्रि और पूजा विधि
23 जुलाई को सावन शिवरात्रि मनाई जाएगी। इस दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में स्नान कर साफ वस्त्र धारण करें। पूजा विधि में क्या करें ?
१. शिवलिंग पर गंगाजल, दूध, दही, शहद, और घी से अभिषेक करें।
२. चंदन के साथ बेलपत्र, धतूरा, शमी पत्र, और फूल अर्पित करें।
३. “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करें या शिव चालीसा और शिव पुराण का पाठ करें।
४. पूजा के अंत में शिव आरती करें और भोग लगाएं।
विशेष उपाय
१. मनोकामना पूर्ति के लिए 21 बेलपत्रों पर चंदन से “ॐ नमः शिवाय” लिखकर अर्पित करें।
२. स्वास्थ्य लाभ के लिए 101 बार महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें।
३. शनि दोष से मुक्ति के लिए जल में काले तिल मिलाकर शिवलिंग पर अर्पित करें।
चंदन के सामान्य लाभ
चंदन की सुगंध नकारात्मक ऊर्जा को दूर करती है और मानसिक शांति प्रदान करती है। यह डोपामाइन हार्मोन को बढ़ाकर तनाव, बेचैनी और अनिद्रा जैसी समस्याओं को कम करता है। शिवलिंग पर चंदन लगाने से व्यक्तित्व आकर्षक बनता है, समाज में मान-सम्मान बढ़ता है, और करियर में सफलता मिलती है।
क्या है सावन शिवरात्रि का महत्व
सावन माह भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है, और इस माह की शिवरात्रि को महाशिवरात्रि के बाद सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन शिव और शक्ति के मिलन का उत्सव मनाया जाता है, और विधि-विधान से पूजा करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।