
स्पेशल डेस्क
राहुल गांधी, जो कांग्रेस सांसद और लोकसभा में विपक्ष के नेता हैं, ने हाल ही में भारतीय चुनाव आयोग (Election Commission of India) पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने दावा किया है कि चुनाव आयोग “वोट चोरी” में शामिल है और यह काम भारतीय जनता पार्टी (BJP) के लिए किया जा रहा है। उनके इन बयानों ने देश में एक नया राजनीतिक विवाद खड़ा कर दिया है।
राहुल गांधी का वोट चोरी का दावा
राहुल गांधी ने कहा कि उनके पास “पुख्ता सबूत” हैं कि चुनाव आयोग वोटर लिस्ट में हेरफेर करके वोट चोरी में शामिल है। उन्होंने इसे “एटम बम” की संज्ञा दी, जिसके सार्वजनिक होने पर देश को सच्चाई पता चल जाएगी। उनका दावा है कि मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, और लोकसभा चुनाव 2024 में मतदाता सूची में अनियमितताएं देखी गईं, विशेष रूप से महाराष्ट्र में जहां लोकसभा चुनाव के बाद विधानसभा चुनाव में एक करोड़ नए वोटर जोड़े गए।
कर्नाटक के बेंगलुरु ग्रामीण लोकसभा सीट पर छह महीने की जांच में कांग्रेस ने पाया कि 45-65 साल की उम्र के हजारों नए वोटर जोड़े गए, जबकि 18 साल से अधिक उम्र के मतदाताओं के नाम हटाए गए।
चुनाव आयोग पर हमला
राहुल ने कहा कि “चुनाव आयोग मर चुका है” और यह अब एक स्वतंत्र संवैधानिक संस्था नहीं रह गया है। उन्होंने इसे BJP का “अंग” करार दिया, जो उनके लिए “वोट चोरी” कर रहा है। उन्होंने चेतावनी दी कि इस मामले में शामिल अधिकारियों, चाहे वे सेवानिवृत्त हों या नहीं, को ढूंढ निकाला जाएगा और यह “राष्ट्रद्रोह” से कम नहीं है।
बिहार में चल रहे मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision) पर राहुल और विपक्षी दलों ने आपत्ति जताई है। उनका दावा है कि इस प्रक्रिया के जरिए SC, ST, OBC, और अल्पसंख्यक समुदायों के वोटरों के नाम काटे जा रहे हैं, जिसे उन्होंने “मैच फिक्सिंग” कहा। राहुल ने कहा कि “जब कांग्रेस ने वोटर लिस्ट और वीडियोग्राफी की मांग की, तो चुनाव आयोग ने कोई जवाब नहीं दिया और नियमों को बदल दिया गया।”
प्रदर्शन की योजना
राहुल गांधी ने घोषणा की कि 5 अगस्त को बेंगलुरु में कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी कार्यालय से फ्रीडम पार्क तक प्रदर्शन होगा, जहां वे इन अनियमितताओं के सबूत पेश करेंगे। चुनाव आयोग ने राहुल गांधी के आरोपों को “बेबुनियाद” और “गैर-जिम्मेदाराना” बताया है। आयोग ने कहा कि वह निष्पक्ष और पारदर्शी ढंग से काम कर रहा है और ऐसे बयानों को नजरअंदाज करता है।
आयोग ने यह भी बताया कि राहुल गांधी को 12 जून को ईमेल और पत्र के जरिए जवाब देने के लिए बुलाया गया था, लेकिन उन्होंने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। कर्नाटक में 2024 लोकसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची की विशेष गहन समीक्षा में 9 लाख 17 हजार आपत्तियां दर्ज की गई थीं, लेकिन कांग्रेस ने उस समय कोई शिकायत नहीं की।
कानूनी प्रक्रिया का हवाला
आयोग ने कहा कि “शिकायतों के समाधान के लिए कानूनी और संस्थागत तंत्र मौजूद हैं, और ऐसी चिंताओं को कानूनी तरीके से उठाया जाना चाहिए। कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल, जैसे राजद, राहुल के समर्थन में हैं। राजद नेता तेजस्वी यादव ने सुप्रीम कोर्ट के सवालों का हवाला देते हुए कहा कि विपक्ष लंबे समय से SIR प्रक्रिया पर सवाल उठा रहा है। विपक्ष का कहना है कि यह केवल राजनीतिक मुद्दा नहीं, बल्कि लोकतंत्र और संविधान की रक्षा का सवाल है।
क्या है BJP का जवाब ?
BJP ने राहुल के आरोपों को “निराधार” और “राजनीतिक भ्रम फैलाने की कोशिश” करार दिया है। पार्टी का कहना है कि कांग्रेस हार के बाद EVM और मतदाता सूची पर सवाल उठाती है, लेकिन जीतने पर चुप रहती है। राहुल ने पहले भी महाराष्ट्र चुनाव में धांधली का आरोप लगाया था, जिसमें 72 लाख नए वोटर जोड़े जाने का दावा किया गया। उन्होंने मतदाता सूची में बदलाव और CCTV फुटेज की मांग की थी, जिसे आयोग ने खारिज कर दिया।
हरियाणा चुनाव और EVM विवाद
हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 में कांग्रेस ने EVM की बैटरी चार्ज के आधार पर सवाल उठाए थे, दावा करते हुए कि 99% चार्ज वाली मशीनों पर BJP जीती, जबकि 60-70% चार्ज वाली मशीनों पर कांग्रेस को जीत मिली। बिहार में SIR प्रक्रिया को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है। कोर्ट ने आयोग से इसकी वैधता और पारदर्शिता पर सवाल पूछे हैं, लेकिन प्रक्रिया पर रोक लगाने से इनकार कर दिया।
राहुल गांधी के इन बयानों ने बिहार विधानसभा चुनाव से पहले सियासत को गर्मा दिया है। विपक्ष इसे लोकतंत्र के लिए खतरा बता रहा है, जबकि BJP इसे हार की हताशा करार दे रही है। चुनाव आयोग जैसी संवैधानिक संस्था पर इस तरह के गंभीर आरोप उसकी विश्वसनीयता पर सवाल उठाते हैं। यदि राहुल के दावे सही साबित होते हैं, तो यह भारतीय लोकतंत्र के लिए गंभीर संकट हो सकता है। राहुल ने संसद से सड़क तक लड़ाई की बात कही है। 5 अगस्त को बेंगलुरु में प्रस्तावित प्रदर्शन और सबूत पेश करने की घोषणा से इस मामले में नया मोड़ आ सकता है।
“चुनाव आयोग मर चुका है”
राहुल गांधी के “चुनाव आयोग मर चुका है” और “वोट चोरी” के आरोप भारतीय राजनीति में एक बड़ा विवाद बन गए हैं। उनके दावों के समर्थन में कर्नाटक की एक लोकसभा सीट पर छह महीने की जांच के सबूत होने की बात कही गई है, जिसे वे जल्द सार्वजनिक करने का दावा कर रहे हैं। दूसरी ओर, चुनाव आयोग ने इन आरोपों को खारिज करते हुए अपनी निष्पक्षता पर जोर दिया है। इस मामले का भविष्य 5 अगस्त को बेंगलुरु में होने वाले प्रदर्शन और सबूतों के खुलासे पर निर्भर करता है। साथ ही, सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई भी इस मुद्दे पर महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।