
स्पेशल डेस्क
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने हाल ही में भारत को सिंधु जल समझौते (Indus Water Treaty) के निलंबन के मुद्दे पर धमकी दी थी, जिसमें परमाणु युद्ध की आशंका का जिक्र भी शामिल था। यह बयान भारत द्वारा जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले के जवाब में सिंधु जल समझौते को स्थगित करने और ऑपरेशन सिंदूर के तहत कार्रवाई करने के बाद आया। आइए, इस मामले की पूरी रिपोर्ट और भारत के जवाब को विस्तार में एग्जीक्यूटिव एडिटर प्रकाश मेहरा से समझते हैं।
सिंधु जल समझौता और तनाव
1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुए सिंधु जल समझौते के तहत सतलुज, ब्यास, रावी, सिंधु, चिनाब और झेलम नदियों का पानी दोनों देशों के बीच बांटा गया। भारत ने 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले (जिसमें 26 नागरिक मारे गए) के बाद इस समझौते को 23 अप्रैल को औपचारिक रूप से निलंबित कर दिया। इस हमले की जिम्मेदारी लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े संगठन ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ ने ली थी। भारत का तर्क था कि आतंकवाद को समर्थन देने वाले देश के साथ “खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते।”इसके बाद, भारत ने 6-7 मई 2025 को ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा के 9 आतंकी ठिकानों पर हमला किया, जिसमें 100 से अधिक आतंकी मारे गए। इस कार्रवाई ने पाकिस्तान को हिलाकर रख दिया, और इसके बाद पाकिस्तानी नेताओं की ओर से आक्रामक बयानबाजी शुरू हुई।
शहबाज शरीफ की परमाणु धमकी !
13 अगस्त को इस्लामाबाद में एक कार्यक्रम में शहबाज शरीफ ने भारत को चेतावनी देते हुए कहा, “अगर तुमने हमारे पानी को रोकने की कोशिश की, तो याद रखो, तुम एक बूंद भी नहीं ले जा सकते। ऐसा करने की कोशिश की तो ऐसा सबक सिखाया जाएगा कि तुम्हें पछताना पड़ेगा।” उन्होंने भारत को “दुश्मन” करार देते हुए कहा कि “पाकिस्तान अपने हक के पानी की रक्षा करेगा। यह बयान सिंधु जल समझौते के निलंबन और भारत द्वारा चिनाब नदी पर नेशनल हाइड्रो इलेक्ट्रिक पावर प्रोजेक्ट शुरू करने के बाद आया, जिससे पाकिस्तान को डर है कि भारत उसका पानी रोक सकता है।
पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर ने भी फ्लोरिडा, अमेरिका में एक सभा में परमाणु हमले की धमकी दी थी। उन्होंने कहा, “अगर भारत ने सिंधु नदी पर बांध बनाया, तो हम उसे मिसाइलों से नष्ट कर देंगे। अगर हमें लगा कि हम तबाह हो रहे हैं, तो हम आधी दुनिया को अपने साथ ले डूबेंगे।” इसके अलावा, पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (PPP) के नेता बिलावल भुट्टो जरदारी ने भी समझौते के निलंबन को “सिंधु घाटी सभ्यता पर हमला” करार देते हुए युद्ध की चेतावनी दी थी।
भारत का करारा जवाब
भारत ने पाकिस्तान की इन धमकियों को “न्यूक्लियर ब्लैकमेल” करार देते हुए कड़ा जवाब दिया। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, “परमाणु हथियारों की धमकी देना पाकिस्तान की पुरानी आदत है। भारत किसी भी परमाणु ब्लैकमेल के आगे नहीं झुकेगा और अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए हर जरूरी कदम उठाएगा।” मंत्रालय ने यह भी कहा कि आसिम मुनीर की टिप्पणियां पाकिस्तान में परमाणु हथियारों के नियंत्रण और कमान की विश्वसनीयता पर सवाल उठाती हैं। यह भी उल्लेख किया गया कि ऐसी गैर-जिम्मेदाराना टिप्पणियां अमेरिका जैसे तीसरे देश की धरती से आना खेदजनक है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ऑपरेशन सिंदूर के बाद राष्ट्र के नाम संबोधन में स्पष्ट किया था, “अगर सीमा पार से कोई आतंकी हमला होता है, तो उसे युद्ध माना जाएगा और उसका जवाब उसी भाषा में दिया जाएगा।” भारत ने यह भी साफ किया कि आतंकवाद और पानी के मुद्दे को अब अलग-अलग नहीं देखा जाएगा, और जब तक पाकिस्तान आतंकवाद का समर्थन बंद नहीं करता, समझौता बहाल नहीं होगा।
पाकिस्तान की बदली रणनीति
हालांकि, ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान की आक्रामक बयानबाजी में कमी आई। 13 जुलाई 2025 को शहबाज शरीफ ने इस्लामाबाद में छात्रों को संबोधित करते हुए कहा, “हमारा परमाणु कार्यक्रम शांतिपूर्ण उद्देश्यों और आत्मरक्षा के लिए है, न कि आक्रमण के लिए।” उन्होंने भारत के साथ परमाणु युद्ध की संभावना को खारिज करते हुए कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भी परमाणु हमले की कोई योजना नहीं थी। यह बयान भारत की सैन्य कार्रवाई, अंतरराष्ट्रीय दबाव, और पाकिस्तान की आर्थिक व आंतरिक कमजोरियों के कारण माना जा रहा है।
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था संकट में है, और आंतरिक राजनीतिक अस्थिरता (राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के इस्तीफे की अफवाहें और सेना प्रमुख आसिम मुनीर की भूमिका को लेकर चर्चाएं) ने भी उसे बैकफुट पर ला दिया है। इसके अलावा, भारत की ऑपरेशन सिंदूर जैसी कार्रवाइयों ने पाकिस्तान को सैन्य और कूटनीतिक रूप से कमजोर स्थिति में ला दिया।
क्या है पाकिस्तान की रणनीति
पाकिस्तान लंबे समय से परमाणु धमकियों को अपनी कूटनीतिक रणनीति का हिस्सा बनाता रहा है। हालांकि, भारत की आक्रामक सैन्य कार्रवाइयों और वैश्विक मंचों पर उसकी बढ़ती ताकत ने इन धमकियों को बेअसर कर दिया है।
भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि “वह आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति अपनाएगा और किसी भी धमकी के आगे नहीं झुकेगा। ऑपरेशन सिंदूर ने यह साबित किया कि भारत न केवल जवाबी कार्रवाई कर सकता है, बल्कि पाकिस्तान की सीमा में घुसकर भी आतंकी ठिकानों को नष्ट कर सकता है।
क्या अंतरराष्ट्रीय दबाव !
पाकिस्तान पहले से ही आतंकवाद को समर्थन देने के लिए वैश्विक आलोचना का सामना कर रहा है। परमाणु धमकियों ने उसे और अलग-थलग करने का जोखिम बढ़ा दिया है, जिसके कारण शहबाज शरीफ जैसे नेता अब शांति की बात करने को मजबूर हैं।
पाकिस्तान की आक्रामक बयानबाजी
शहबाज शरीफ की परमाणु युद्ध की धमकी और पाकिस्तान की आक्रामक बयानबाजी सिंधु जल समझौते के निलंबन और भारत की सैन्य कार्रवाइयों से उपजी बौखलाहट का नतीजा थी। हालांकि, भारत के कड़े जवाब, सैन्य ताकत, और वैश्विक समर्थन ने पाकिस्तान को बैकफुट पर ला दिया। शहबाज शरीफ के हालिया बयानों से संकेत मिलता है कि पाकिस्तान अब अपनी परमाणु धमकियों को पीछे छोड़कर शांति और बातचीत की भाषा बोलने की कोशिश कर रहा है, लेकिन भारत का रुख स्पष्ट है—आतंकवाद और बातचीत साथ-साथ नहीं चल सकते।