
स्पेशल डेस्क
चीनी विदेश मंत्री वांग यी भारत की तीन दिवसीय यात्रा पर नई दिल्ली पहुंच रहे हैं। यह दौरा भारत-चीन संबंधों में सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है, खासकर 2020 की गलवान घाटी झड़प के बाद उत्पन्न तनाव के बाद। इस यात्रा का समय भी वैश्विक भू-राजनीतिक परिदृश्य में महत्वपूर्ण है, क्योंकि अमेरिका ने भारत और चीन पर भारी टैरिफ लगाए हैं, जिससे दोनों देशों के बीच सहयोग की संभावनाएं बढ़ रही हैं।
वांग यी की यात्रा
वांग यी 18 से 20 अगस्त तक भारत में रहेंगे। यह दौरा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 31 अगस्त से 1 सितंबर 2025 को शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन के लिए चीन यात्रा से पहले हो रहा है। 18 अगस्त को वांग यी शाम 6 बजे विदेश मंत्री एस. जयशंकर से द्विपक्षीय वार्ता करेंगे। 19 अगस्त सुबह 11 बजे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल के साथ सीमा मुद्दे पर विशेष प्रतिनिधि (SR) वार्ता का 24वां दौर। शाम 5:30 बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से 7, लोक कल्याण मार्ग पर मुलाकात। इन बैठकों में सीमा विवाद, व्यापार, हवाई उड़ान सेवाओं की बहाली, और क्षेत्रीय सहयोग जैसे मुद्दों पर चर्चा होगी।
सीमा विवाद पर फोकस
वांग यी और अजीत डोभाल भारत-चीन सीमा मुद्दे पर विशेष प्रतिनिधि वार्ता करेंगे, जो 2020 के गलवान संघर्ष के बाद तनाव को कम करने के लिए महत्वपूर्ण है। पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर 50,000-60,000 सैनिकों की तैनाती बनी हुई है, हालांकि कुछ टकराव वाले क्षेत्रों से सैनिक हटाए गए हैं।हाल के समझौतों में देपसांग और डेमचोक में गश्त बहाली शामिल है।
द्विपक्षीय संबंधों में सुधार
2020 की गलवान झड़प के बाद भारत-चीन संबंध निचले स्तर पर पहुंच गए थे, लेकिन हाल के वर्षों में दोनों देशों ने संवाद और विश्वास-निर्माण के कदम उठाए हैं। कैलाश मानसरोवर यात्रा की बहाली, चीनी पर्यटकों के लिए वीजा, और सीधी उड़ानें शुरू करने की चर्चा सकारात्मक कदम हैं। दोनों देश उत्तराखंड के लिपुलेख दर्रा, हिमाचल प्रदेश के शिपकी ला, और सिक्किम के नाथू ला में सीमा व्यापार बहाल करने पर विचार कर रहे हैं।
अमेरिका को क्या संकेत
वांग यी की यात्रा का समय और संदर्भ अमेरिका के साथ भारत और चीन के तनावपूर्ण संबंधों के बीच महत्वपूर्ण है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारतीय वस्तुओं पर टैरिफ को दोगुना कर 50% कर दिया है, जिसमें रूसी तेल खरीदने पर 25% अतिरिक्त जुर्माना शामिल है। इसके जवाब में भारत और चीन के बीच बढ़ती नजदीकी को निम्नलिखित संकेतों के रूप में देखा जा रहा है:
टैरिफ युद्ध के खिलाफ एकजुटता
अमेरिका ने भारत और चीन दोनों पर भारी टैरिफ लगाए हैं, जिससे दोनों देशों के बीच सहयोग की संभावना बढ़ी है। वांग यी का दौरा अमेरिका को यह संदेश देता है कि भारत और चीन वैश्विक भू-राजनीति में एक नया शक्ति संतुलन बना सकते हैं। कुछ विश्लेषकों का मानना है कि “यह दौरा अमेरिका-भारत संबंधों में उभरती दरारों का लाभ उठाने की चीन की रणनीति हो सकती है।”
क्षेत्रीय सहयोग और SCO
भारत और चीन SCO और BRICS जैसे बहुपक्षीय मंचों पर सहयोग बढ़ा रहे हैं। वांग यी की यात्रा SCO शिखर सम्मेलन से पहले एक कूटनीतिक तैयारी के रूप में देखी जा रही है।
रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने भी भारत-चीन संबंधों में सुधार का स्वागत किया है और रूस-भारत-चीन (RIC) त्रिपक्षीय वार्ता की बहाली की उम्मीद जताई है। भारत-चीन संबंध गलवान झड़प (2020) गलवान घाटी में हुई सैन्य झड़प ने दोनों देशों के बीच तनाव को चरम पर पहुंचा दिया था। इसके बाद कई दौर की सैन्य और कूटनीतिक वार्ताएं हुईं।
क्या हुए हाल के सुधार ?
अक्टूबर 2024 में कजान (रूस) में PM मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात ने संबंधों को पुनर्जनन की दिशा दी। दिसंबर 2024 में बीजिंग में डोभाल और वांग यी के बीच 23वीं SR वार्ता हुई, जिसमें सीमा प्रबंधन और सहयोग पर सहमति बनी।
भारत और चीन के बीच व्यापारिक संबंध गहरे हैं, लेकिन सीमा तनाव ने इसे प्रभावित किया। अब व्यापार असंतुलन कम करने और संयुक्त उद्यमों पर चर्चा हो रही है। कैलाश मानसरोवर यात्रा और पर्यटक वीजा की बहाली सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत कर रही है।
क्या सब शांति-शांति है ? सकारात्मक संकेत
दोनों देशों ने LAC पर तनाव कम करने के लिए कदम उठाए हैं, जैसे सैनिकों की सीमित वापसी और गश्त बहाली। वांग यी की यात्रा और PM मोदी की आगामी चीन यात्रा से संवाद और विश्वास-निर्माण की प्रक्रिया को बढ़ावा मिलेगा। व्यापार, उड़ानें, और सांस्कृतिक आदान-प्रदान की बहाली से संबंध सामान्य होने की ओर बढ़ रहे हैं।
क्या हैं चुनौतियां !
LAC पर अभी भी भारी सैन्य तैनाती बनी हुई है, जो पूर्ण विश्वास की कमी को दर्शाता है। अमेरिका के टैरिफ और वैश्विक भू-राजनीतिक दबाव दोनों देशों के लिए जटिलताएं पैदा कर सकते हैं।
चीनी विदेश मंत्री वांग यी का भारत दौरा भारत-चीन संबंधों में सुधार और विश्वास-निर्माण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह दौरा न केवल सीमा विवाद को संबोधित करने का प्रयास है, बल्कि अमेरिका के टैरिफ युद्ध के बीच दोनों देशों के बीच बढ़ते सहयोग का भी संकेत देता है। यह वैश्विक शक्ति संतुलन में भारत और चीन की भूमिका को मजबूत करने की दिशा में एक कूटनीतिक कदम है। हालांकि, LAC पर सैन्य तैनाती और वैश्विक दबावों के कारण पूर्ण “शांति-शांति” की स्थिति अभी दूर है। दोनों देशों को सतर्कता और संवाद के साथ आगे बढ़ना होगा।