
स्पेशल डेस्क
उत्तर प्रदेश के सीतापुर जेल से समाजवादी पार्टी (सपा) के वरिष्ठ नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री आजम खान रिहा हो गए। वे लगभग 23 महीनों से जेल में बंद थे। यह रिहाई इलाहाबाद हाईकोर्ट के हालिया फैसलों का नतीजा है, जहां उन्हें कई मामलों में जमानत मिली। हालांकि, सवाल उठ रहा है कि क्या यह रिहाई लंबे समय तक चलेगी ?
कब और कैसे रिहा हुए ?
आजम खान को सुबह करीब 7 बजे जेल से रिहा किया गया। मूल रूप से रिहाई सुबह 9 बजे निर्धारित थी, लेकिन कोर्ट द्वारा लगाए गए जुर्माने (फाइन) का भुगतान न होने के कारण इसमें कुछ घंटों की देरी हुई। जुर्माना चुकाने के बाद वे बाहर आए। उनके बेटे अब्दुल्ला आजम खान और अदीब आजम खान समेत सैकड़ों समर्थक जेल के बाहर मौजूद थे, लेकिन पुलिस ने धारा 163 (बीएनएसएस) के तहत प्रतिबंधित क्षेत्र में भीड़ जमा होने से रोकने के लिए कड़े इंतजाम किए। रिहाई के बाद वे सीधे रामपुर के लिए रवाना हो गए और मीडिया से कोई बात नहीं की।
वे अक्टूबर 2023 से सीतापुर जेल में बंद थे। कुल 23 महीने की कैद के दौरान उनकी सेहत खराब होने की कई रिपोर्ट्स आईं, जिससे राजनीतिक विवाद भी हुआ।
जमानत कैसे मिली ?
मुख्य केस और कोर्ट फैसलेआजम खान पर 80 से ज्यादा मुकदमे दर्ज हैं, जिनमें जमीन हड़पने, जबरन बेदखली, सड़क अवरोध जैसे आरोप शामिल हैं। हाल के दिनों में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उन्हें लगातार राहत दी।
कोर्ट का फैसला 10 सितंबर को रामपुर डुंगरपुर कॉलोनी जबरन बेदखली केस (2016) जमानत मिली (10 साल की सजा पर रोक) रद्द/जमानत। 18 सितंबर को क्वालिटी बार लैंड ग्रैब केस (2019, रामपुर) जमानत मिली (जस्टिस समीर जैन की बेंच) रद्द/जमानत। अन्य पुराने केस 17 साल पुराना सड़क अवरोध केस (2008) बरी (एक्विटल) बंद।
इन फैसलों के बाद सभी लंबित मामलों में जमानत मिल चुकी है। उनके वकील मोहम्मद खालिद ने कहा, “अब कोई ऐसा केस नहीं बचा जो उन्हें जेल में रख सके।” इससे पहले मई 2022 में भी वे जमानत पर बाहर आए थे, लेकिन 2023 में फिर गिरफ्तार हो गए।
रिहाई कितने दिनों की ‘मेहमान’?
वर्तमान में कोई लंबित केस नहीं है, इसलिए रिहाई स्थायी प्रतीत होती है। सपा नेता शिवपाल सिंह यादव ने कहा, “झूठे मुकदमों में फंसाया गया था, कोर्ट ने न्याय किया।” सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भी ट्वीट कर कोर्ट का आभार जताया और उम्मीद की कि भविष्य में कोई झूठा केस न दर्ज हो।
रामपुर पुलिस ने हाल ही में कुछ पुराने केस में IPC की धाराएं 420, 120B के अलावा नई धाराएं (7 साल से उम्रकैद तक की सजा वाली) जोड़ी हैं। इससे नई जमानत की जरूरत पड़ सकती है। सुनवाई 20 सितंबर को होनी थी, लेकिन रिहाई के बाद स्थिति स्पष्ट होनी बाकी है।
रिहाई के बाद भी रामपुर और सीतापुर में हाई अलर्ट है। 25 गाड़ियों पर चालान काटा गया, जो भीड़ नियंत्रण का हिस्सा था।
समाजवादियों के लिए खुशी की बात:अखिलेश
समाजवादियों में खुशी का माहौल। अखिलेश ने कहा, “समाजवादियों के लिए खुशी की बात।” समर्थकों ने जुलूस निकाले। बीजेपी ने चुप्पी साधी, लेकिन कुछ सोशल मीडिया पोस्ट्स में पुराने विवाद (जैसे मुजफ्फरनगर दंगे) दोहराए गए। कुल मिलाकर, यह रिहाई आजम खान के लिए बड़ी राहत है, लेकिन नए आरोपों की आशंका से “मेहमान” जैसी स्थिति बनी हुई है।