
विशेष डेस्क
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की स्थापना 27 सितंबर 1925 को नागपुर में डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ने की थी। 2025 में पूरे होने वाले इसके 100 वर्षों की यात्रा को चिह्नित करने के लिए विभिन्न मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर विशेष सीरीज और कहानियां प्रकाशित हो रही हैं। “100 साल संघ के” इसी कड़ी का हिस्सा है, जिसमें संघ से जुड़े व्यक्तियों की प्रेरक कहानियां साझा की जा रही हैं। इस सीरीज के दूसरे अध्याय में फोकस है बॉलीवुड के मशहूर अभिनेता अमरीश पुरी पर, जिन्होंने अपने जीवनभर के अनुशासन का श्रेय RSS को दिया था।
संघ से जुड़ाव और अनुशासन की सीख
अमरीश पुरी (1932-2005) हिंदी सिनेमा के उन अभिनेताओं में शुमार थे, जिनकी गहरी आवाज और दमदार अभिनय ने उन्हें खलनायकों का ‘किंग’ बना दिया। लेकिन उनकी जिंदगी का एक ऐसा पहलू था, जो कम ही लोगों को पता था—उनका गजब का अनुशासन। सुबह जल्दी उठना, समय की पाबंदी, और हर काम में सख्ती—ये सब उनकी पहचान बन गया था। अमरीश पुरी ने खुद कई इंटरव्यूज में खुलासा किया था कि यह अनुशासन उन्होंने RSS की शाखाओं में हिस्सा लेते हुए सीखा।
संघ में शामिल होने की शुरुआत
1950 के दशक में अमरीश पुरी लायल कॉलेज, लाहौर (जो उस समय भारत का हिस्सा था) से ग्रेजुएट होकर दिल्ली आ गए थे। यहां उन्होंने सरकारी नौकरी शुरू की और RSS की शाखाओं से जुड़ गए। संघ की दैनिक शाखाओं में भाग लेते हुए उन्हें शारीरिक व्यायाम, चरित्र निर्माण और सामूहिक अनुशासन का पाठ मिला। वे स्वयंसेवक के रूप में सक्रिय रहे और विभिन्न जिम्मेदारियां निभाईं, जैसे शाखा संचालन और नए सदस्यों का प्रशिक्षण।
अमरीश पुरी ने बताया था कि “RSS ने उन्हें सिखाया कि अनुशासन सिर्फ नियमों का पालन नहीं, बल्कि जीवन का आधार है। शाखाओं में सूर्य नमस्कार, ड्रिल और बौद्धिक चर्चाओं से उन्होंने समय प्रबंधन और समर्पण सीखा। बाद में उनकी फिल्मी करियर में भी यही अनुशासन झलकता था—शूटिंग के दौरान कभी देरी न करना, डायलॉग्स याद रखना और सेट पर सख्ती। उन्होंने कहा था, “संघ ने मुझे एक सिपाही बनाया, जो राष्ट्र के लिए समर्पित हो।”
फिल्मी जीवन में संघ का छाप
अमरीश पुरी ने 400 से ज्यादा फिल्मों में काम किया, लेकिन उनकी आखिरी फिल्मों में वे पॉजिटिव रोल्स में दिखे, जैसे “मंगल पांडे: द राइजिंग” में। वे मानते थे कि संघ की शिक्षा ने उन्हें बुरे किरदारों से ऊपर उठने की ताकत दी। उनके बेटे अनिरुद्ध पुरी ने भी बताया कि पिता घर पर भी संघ की तरह अनुशासित रहते थे—रोज सुबह 4 बजे उठना और योग करना।
RSS दुनिया का सबसे बड़ा स्वयंसेवी संगठन
यह कहानी RSS की शताब्दी वर्ष (RSS@100) के विशेष अभियान का हिस्सा है, जहां संगठन के योगदान को 100 कहानियों के माध्यम से उजागर किया जा रहा है। RSS, जो दुनिया का सबसे बड़ा स्वयंसेवी संगठन है, ने शिक्षा, स्वास्थ्य, आपदा राहत और सांस्कृतिक एकता के क्षेत्रों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। 1925 से आज तक, यह हिंदू राष्ट्रवाद, चरित्र निर्माण और सामाजिक सेवा पर जोर देता रहा है। अमरीश पुरी की कहानी इसी विचारधारा का जीवंत उदाहरण है—कैसे एक स्वयंसेवक बनकर व्यक्ति का जीवन बदल जाता है।
RSS से ही सीखा अनुशासन का पाठ: अमरीश
23 सितंबर 2025 (संघ की स्थापना दिवस के अवसर पर) अमरीश पुरी का RSS से जुड़ाव 1950 के दशक से। शाखाओं में मिली शिक्षा अनुशासन, समर्पण और राष्ट्रभक्ति। फिल्मी करियर में इसका असर समयबद्धता और पेशेवरिज्म। अंतिम वर्षों में सकारात्मक भूमिकाएं, जो संघ की शिक्षा से प्रेरित।
“ये अनुशासन अमरीश ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) में सीखा था।” – अमरीश पुरी के इंटरव्यू से। यह रिपोर्ट RSS की विरासत को जीवंत करने का प्रयास है, जो दिखाती है कि कैसे एक संगठन व्यक्तिगत जीवन से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक प्रभाव डालता है।