
स्पेशल डेस्क
सुप्रीम कोर्ट ने 26 सितंबर को दिल्ली-एनसीआर में पटाखों के मामले में एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया। इस फैसले में कोर्ट ने ग्रीन पटाखों के निर्माण की सशर्त अनुमति दी, लेकिन उनकी बिक्री और उपयोग पर रोक को बरकरार रखा। यह निर्णय दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने और पटाखा निर्माताओं की आजीविका के बीच संतुलन बनाने की कोशिश के तहत लिया गया है।
ग्रीन पटाखों के निर्माण की अनुमति
कोर्ट ने केवल प्रमाणित निर्माताओं को ग्रीन पटाखे बनाने की अनुमति दी है। यह अनुमति राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान (NEERI) और पेट्रोलियम एवं विस्फोटक सुरक्षा संगठन (PESO) द्वारा प्रमाणित निर्माताओं के लिए है। निर्माताओं को यह लिखित वचन देना होगा कि वे दिल्ली-एनसीआर में अपने पटाखों की बिक्री नहीं करेंगे, जब तक कि कोर्ट का अगला आदेश न आए।
दिल्ली-एनसीआर में बिक्री और उपयोग पर रोक
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि दिल्ली-एनसीआर में किसी भी प्रकार के पटाखों की बिक्री और उपयोग पर पूरी तरह से प्रतिबंध रहेगा। यह प्रतिबंध तब तक लागू रहेगा, जब तक कोर्ट अगला आदेश नहीं देता। यह फैसला दिल्ली में गंभीर वायु प्रदूषण की स्थिति को देखते हुए लिया गया है, खासकर दीपावली के समय जब प्रदूषण का स्तर खतरनाक स्तर तक पहुंच जाता है। नवंबर 2024 में दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 494 तक पहुंच गया था, जिससे स्मॉग की गंभीर समस्या उत्पन्न हुई थी।
केंद्र सरकार को निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वह दिल्ली सरकार, पटाखा निर्माताओं, विक्रेताओं और अन्य हितधारकों के साथ विचार-विमर्श कर 8 अक्टूबर 2025 तक एक व्यावहारिक समाधान प्रस्तुत करे। कोर्ट ने कहा कि “पूर्ण प्रतिबंध व्यावहारिक नहीं है और इससे अवैध गतिविधियों को बढ़ावा मिल सकता है, जैसा कि बिहार में खनन प्रतिबंध के बाद अवैध खनन माफियाओं के मामले में देखा गया। इसलिए, एक संतुलित दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत है।
ग्रीन पटाखों की परिभाषा
ग्रीन पटाखे पर्यावरण के अनुकूल होते हैं और पारंपरिक पटाखों की तुलना में कम प्रदूषण करते हैं। इनमें:कम धुआं और शोर उत्पन्न होता है। भारी धातुओं का उपयोग नहीं होता। PM 2.5 और PM 10 जैसे हानिकारक कणों का उत्सर्जन कम होता है। ये CSIR-NEERI द्वारा विकसित तकनीकों पर आधारित होते हैं।
कोर्ट ने माना कि प्रदूषण नियंत्रण जरूरी है, लेकिन पटाखा उद्योग से जुड़े मजदूरों की आजीविका को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई ने टिप्पणी की कि अगर निर्माता नियमों का पालन करते हैं, तो उन्हें निर्माण की अनुमति देने में कोई समस्या नहीं होनी चाहिए।
पिछले आदेशों पर सुप्रीम कोर्ट
अप्रैल 2025 में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में सभी प्रकार के पटाखों (ग्रीन पटाखों सहित) के उपयोग, निर्माण, बिक्री और भंडारण पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया था, क्योंकि ग्रीन पटाखों से भी 30% कम प्रदूषण होने की बात सामने आई थी, जो पर्याप्त नहीं थी। कोर्ट ने यह भी कहा था कि केवल दिल्ली के लिए अलग नीति नहीं हो सकती, और स्वच्छ हवा का अधिकार पूरे देश के नागरिकों को मिलना चाहिए।
इस मामले में अगली सुनवाई 8 अक्टूबर को होगी, जिसमें बिक्री और उपयोग के संबंध में अंतिम निर्णय लिया जा सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि ग्रीन पटाखों के निर्माण की अनुमति दी गई है, तो सीमित समय और स्थानों पर उनके उपयोग की अनुमति भी दी जा सकती है।
क्या हैं फैसले का महत्व
यह फैसला दिल्ली-एनसीआर में गंभीर वायु प्रदूषण की समस्या को संबोधित करता है, खासकर दीपावली के समय जब AQI खतरनाक स्तर तक पहुंच जाता है। ग्रीन पटाखों के निर्माण की अनुमति देकर कोर्ट ने उद्योग और मजदूरों की आजीविका को ध्यान में रखा है। कोर्ट ने पूर्ण प्रतिबंध को अव्यवहारिक मानते हुए संतुलित नीति की आवश्यकता पर जोर दिया, ताकि अवैध बिक्री और उपयोग को रोका जा सके।
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला पर्यावरण संरक्षण और आर्थिक गतिविधियों के बीच संतुलन बनाने की दिशा में एक कदम है। ग्रीन पटाखों के निर्माण की अनुमति से उद्योग को राहत मिलेगी, लेकिन दिल्ली-एनसीआर में बिक्री और उपयोग पर रोक से प्रदूषण नियंत्रण पर जोर दिया गया है। केंद्र सरकार को 8 अक्टूबर तक एक प्रभावी नीति प्रस्तुत करने की जिम्मेदारी दी गई है, जिसके बाद इस मामले में और स्पष्टता आएगी।