
विशेष डेस्क
बिहार विधानसभा चुनाव की धमक अब चरम पर है। 243 सीटों वाली इस सभा के लिए दो चरणों में वोटिंग हो रही है—पहला चरण 6 नवंबर को 121 सीटों पर, और दूसरा 11 नवंबर को बाकी 122 पर। नतीजे 14 नवंबर को आएंगे। लेकिन इस चुनाव का पहला दौर ही सबसे अहम माना जा रहा है, क्योंकि इसमें ही प्रमुख नेताओं की साख दांव पर लगी है। खासकर तेज प्रताप यादव (तेज), तेजस्वी यादव, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के दोनों डिप्टी—सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिन्हा—की किस्मत का फैसला हो जाएगा। ये सीटें उत्तर बिहार के 18 जिलों में फैली हैं, जहां जातिगत समीकरण (यादव-मुस्लिम, भूमिहार, कुशवाहा, निषाद आदि) और विकास के मुद्दे हावी हैं। यह चरण न सिर्फ व्यक्तिगत प्रतिष्ठा का इम्तिहान लेगा, बल्कि पूरे चुनाव का रुख भी तय कर सकता है। एनडीए (बीजेपी-जेडीयू) की सरकार बचाने की जंग में नीतीश की महिलाओं पर केंद्रित योजनाएं (जैसे 10 हजार रुपये की सहायता) और तेजस्वी की नौकरी गारंटी (हर परिवार को एक सरकारी नौकरी) आमने-सामने हैं। आइए, पूरी रिपोर्ट विस्तार में एग्जीक्यूटिव एडिटर प्रकाश मेहरा से समझते हैं।
पहला चरण का हाई-स्टेक बैटल
पहले चरण की 121 सीटों पर 1,324 से ज्यादा उम्मीदवार मैदान में हैं। इनमें 16 मंत्री, कई पूर्व विधायक और सितारे शामिल हैं। यहां फोकस उन ‘सिपहसालारों’ पर है, जिनकी हार-जीत पूरे बिहार की सियासत हिला सकती है।
ये उम्मीदवार न सिर्फ अपनी सीट बचाने की जंग लड़ रहे हैं, बल्कि गठबंधनों की मजबूती भी साबित करेंगे। तेजस्वी राघोपुर से 2015 और 2020 में भारी मार्जिन से जीते हैं, लेकिन इस बार प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी (JSP) त्रिकोणीय मुकाबला कर रही है। वहीं, सम्राट चौधरी की तारापुर सीट पर निषाद और यादव वोटबैंक क्लash करेगा।
क्यों है ‘गेम-चेंजर’ ? एनडीए vs महागठबंधन का टेस्ट
2020 में एनडीए ने 125 सीटें जीतीं (बीजेपी 74, जेडीयू 43), जबकि महागठबंधन को 110 (RJD 75, कांग्रेस 19, वाम 16)। पहले चरण में एनडीए को 50-60 सीटें चाहिए, वरना नीतीश की कुर्सी डगमगा सकती है। तेजस्वी का दावा है कि “बीजेपी नीतीश को CM नहीं बनाएगी—अमित शाह के बयान को हथियार बनाकर।”
तेजस्वी की चुनौती सर्वे (C-Voter, JVC) में तेजस्वी सबसे पसंदीदा CM फेस हैं (33-35%)। उनका मेनिफेस्टो ‘बिहार का तेजस्वी प्रण’ रोजगार, मुफ्त बिजली, OPS बहाली और टॉडी बैन हटाने का वादा करता है। लेकिन ‘जंगलराज’ के पुराने आरोप और प्रशांत किशोर (JSP) का उभरना खतरा।
नीतीश के डिप्टी की साख
दोनों डिप्टी हार गए तो बीजेपी में विद्रोह हो सकता है। सम्राट को ‘बीजेपी का चेहरा’ माना जाता है, जबकि विजय सिन्हा भूमिहार बेल्ट में मजबूत। नीतीश खुद चुनाव नहीं लड़ रहे, लेकिन उनके 20 साल के शासन पर एंटी-इनकंबेंसी का साया है।
मुस्लिम-यादव (MY) महागठबंधन को, जबकि EBC-महिलाएं NDA को सपोर्ट। तेजस्वी मुस्लिम डिप्टी CM का संकेत दे चुके हैं। JSP 40+ सीटों पर त्रस्त कर रही है।
सर्वे और भविष्यवाणी किसकी जीत संभावित ?
JVC पोल (नवंबर 2025) NDA को 120-140 सीटें, महागठबंधन 90-110। वोट शेयर NDA 41-43%, INDIA 38-40%। तेजस्वी टॉप CM चॉइस (33%)।
C-Voter (अक्टूबर) तेजस्वी 35%, प्रशांत 23%, नीतीश 16%। युवा तेजस्वी की ओर, महिलाएं नीतीश की। पहले चरण में 60% वोटिंग अनुमानित। बारिश और SIR (स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन) विवाद वोटर टर्नआउट प्रभावित कर सकते हैं।
प्रचार का आखिरी दौर !
3 नवंबर तक प्रचार चरम पर—पीएम मोदी पटना रोड शो कर चुके, राहुल गांधी युवाओं को लुभा रहे। तेजस्वी ने 18 नवंबर को शपथ का ऐलान किया, जिस पर सम्राट ने तंज कसा “ये राजतंत्र नहीं।” गिरिराज सिंह ने तेजस्वी के सपनों को ‘मुंगेरिलाल के हसीन सपने’ कहा। अनंत सिंह (मोकामा) की गिरफ्तारी ने जेडीयू को झटका दिया। पहला चरण जीतकर ही कोई ‘सिपहसालार’ बिहार की सत्ता की दौड़ में आगे रहेगा।
बिहार की जनता का फैसला 6 नवंबर को EVM में कैद होगा—क्या तेजस्वी का ’20 महीने में 20 साल का काम’ चलेगा, या नीतीश का ‘विकास’ बरकरार? इंतजार 14 नवंबर का।