
स्पेशल डेस्क
हाल ही में (नवंबर 2025 में) दुनिया भर में एक बड़ा इंटरनेट आउटेज हुआ, जिसमें ChatGPT, X (पूर्व ट्विटर), Spotify, OpenAI, Canva, Discord, Zerodha जैसी प्रमुख वेबसाइट्स और ऐप्स ठप हो गए। करोड़ों यूजर्स को ‘नेटवर्क एरर’ का सामना करना पड़ा—फीड रिफ्रेश नहीं हुई, गाने रुक गए, ट्रेडिंग प्रभावित हुई, लेकिन समस्या आपके डिवाइस या इंटरनेट कनेक्शन में नहीं थी। असल में, यह सब एक कंपनी की एक छोटी-सी तकनीकी चूक की वजह से हुआ। आइए, पूरी रिपोर्ट को विस्तार में एग्जीक्यूटिव एडिटर प्रकाश मेहरा से समझते हैं।
क्लाउडफ्लेयर क्या है ? क्यों इसे ‘मास्टर स्विच’ कहा जा रहा है ?
Cloudflare एक कंटेंट डिलीवरी नेटवर्क (CDN) है, जो दुनिया भर के लाखों वेबसाइट्स और ऐप्स के लिए इंटरनेट ट्रैफिक को मैनेज करता है। यह वेबसाइट्स का डेटा विभिन्न सर्वर्स पर कॉपी रखता है, ताकि यूजर को नजदीकी सर्वर से तेज स्पीड मिले। उदाहरण के लिए, अगर आप भारत में हैं और कोई अमेरिकी साइट खोल रहे हैं, तो क्लाउडफ्लेयर का नेटवर्क डेटा को लोकल सर्वर से रूट करता है—इससे लोडिंग टाइम कम होता है।
सुरक्षा और ट्रैफिक मैनेजमेंट
यह DDoS अटैक्स (डिस्ट्रीब्यूटेड डिनायल ऑफ सर्विस) जैसे साइबर हमलों से बचाव करता है। यानी, यह एक ‘सुरक्षा दीवार’ और ‘ट्रैफिक ट्रैफिक कॉप’ की तरह काम करता है। लाखों कंपनियां (जैसे X, OpenAI) क्लाउडफ्लेयर पर निर्भर हैं। मास्टर स्विच क्यों? क्योंकि क्लाउडफ्लेयर का नेटवर्क इतना व्यापक है कि इसकी एक गड़बड़ी से पूरी इंटरनेट चेन प्रभावित हो जाती है। इसे ‘इंटरनेट का मास्टर स्विच’ कहा जा सकता है, क्योंकि यह ट्रैफिक के फ्लो को कंट्रोल करता है। अगर यह फेल होता है, तो जुड़ी हुई सभी साइट्स ठप हो जाती हैं।
आउटेज कैसे हुआ ? एक छोटी गलती का डिजिटल ‘भूकंप’
क्लाउडफ्लेयर अपने सिस्टम में एक रूटीन अपडेट कर रहा था। इसी दौरान, उसके Bot Management System (जो बॉट्स को डिटेक्ट और ब्लॉक करता है) में छिपा एक लेटेंट बग (Latent Bug) एक्टिव हो गया। एक छोटी इंटरनल फाइल करप्ट (Corrupted) हो गई। इस फाइल का साइज अचानक दोगुना हो गया। सर्वर्स इस अतिरिक्त लोड को हैंडल नहीं कर पाए, जिससे पूरा नेटवर्क ओवरलोड हो गया।
कैसे फैला प्रभाव ?
क्लाउडफ्लेयर से जुड़ी सभी साइट्स क्रमशः फेल होने लगीं। यह कोई साइबर अटैक नहीं था—बस एक फाइल करप्शन से ट्रैफिक रुक गया। आउटेज कुछ घंटों तक चला, लेकिन नुकसान अरबों डॉलर का हुआ। इंटरनेट अब ‘सेंट्रलाइज्ड’ हो चुका है। AWS, Google Cloud, Microsoft Azure और Cloudflare जैसे कुछ प्लेटफॉर्म्स पर सब निर्भर हैं। ये सिंगल पॉइंट ऑफ फेलियर (Single Point of Failure) बन जाते हैं। क्लाउडफ्लेयर डाउन होते ही APIs, ई-कॉमर्स चेकआउट, स्टॉक ट्रेडिंग सब रुक गए।
भारत पर क्या असर पड़ा ?
भारत एक डिजिटल फर्स्ट इकोनॉमी है, जहां UPI पेमेंट्स, Zerodha जैसी ट्रेडिंग ऐप्स, Netflix/Spotify जैसे एंटरटेनमेंट और न्यूज पोर्टल्स क्लाउडफ्लेयर जैसे CDN पर चलते हैं। ई-कॉमर्स में चेकआउट फेल, स्टॉक मार्केट में ट्रांजेक्शन रुकना, मीडिया बैकएंड ठप। स्टार्टअप्स को सबसे ज्यादा झटका—लाखों-करोड़ों का घाटा। उदाहरण Zerodha यूजर्स ट्रेड नहीं कर पाए, Canva पर डिजाइन सेव न मिली।
क्यों इतना कमजोर हो गया मॉडर्न इंटरनेट ?
इंटरनेट मूल रूप से डिसेंट्रलाइज्ड (विकेंद्रीकृत) डिजाइन किया गया था, लेकिन अब यह कुछ बड़ी कंपनियों पर केंद्रित हो गया है। एक छोटी चूक से ‘डिजिटल अर्थक्वेक’ आ जाता है। यह आउटेज तकनीकी समस्या से ज्यादा एक सिस्टेमिक रिस्क है। रिलायबिलिटी स्केलिंग से पीछे रह गई है। समाधान सुझाव मल्टी-CDN स्ट्रैटेजी Akamai, Fastly, AWS CloudFront जैसे कई नेटवर्क्स का इस्तेमाल। मल्टी-क्लाउड अप्रोच एक प्लेटफॉर्म पर निर्भर न रहें। भारत के लिए डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर को ‘एसेंशियल सर्विस’ मानें। इंसिडेंट रिपोर्टिंग अनिवार्य करें, ट्रांसपैरेंसी बढ़ाएं। लॉन्ग-टर्म Web3 और डिसेंट्रलाइजेशन की ओर बढ़ें, ताकि सेंट्रलाइजेशन की कमजोरी न रहे।
यह घटना हमें याद दिलाती है कि डिजिटल दुनिया कितनी नाजुक है। अगर ऐसी कंपनियां मजबूत बैकअप रखें, तो भविष्य में ऐसे ‘मास्टर स्विच’ फेलियर कम हो सकते हैं।