
सरल डेस्क
पश्चिम बंगाल में Special Intensive Revision (SIR) मतदाता सूची का एक विशेष गहन संशोधन अभियान है, जो चुनाव आयोग (ECI) द्वारा चलाया जा रहा है। यह 2002 के बाद पहली बार हो रहा है, जिसमें हर मतदाता को 4 दिसंबर तक BLO (Booth Level Officer) को एक पूर्व-भरा फॉर्म जमा करना पड़ रहा है। इसका मकसद पुरानी (2002 की) मतदाता सूची को अपडेट करना है, जिसमें नामों की गलतियां, डुप्लिकेट एंट्री, मृत लोगों के नाम और गलत पते जैसी समस्याएं हैं। यह अभियान 12 राज्यों में चल रहा है, लेकिन बंगाल में यह विवादास्पद हो गया है।
ममता बनर्जी का विरोध क्या कह रही हैं ?
ममता बनर्जी ने SIR को “वोटबंदी” (वोटरों को हटाने की साजिश) करार दिया है। उनका आरोप है कि “यह अभियान अनियोजित, जबरन और खतरनाक है, जिसमें BLOs पर बोझ डाला गया है (4 BLOs की मौत, 2 सुसाइड)। BJP और ECI मिलकर सही मतदाताओं (खासकर अल्पसंख्यक, मातुआ समुदाय और सरकारी योजनाओं के लाभार्थी) के नाम काटने की कोशिश कर रहे हैं। यह बंगाल को निशाना बना रहा है, जबकि BJP शासित असम जैसे राज्यों में SIR नहीं हो रहा। फॉर्म भरने में गलतियां (नामों के मिसमैच, गलत रिश्तेदारों के नाम) हो रही हैं, जो 9 दिसंबर के ड्राफ्ट रोल को “आपदा” बना देंगी।
ममता ने बोंगांव (मातुआ हृदयभूमि, BJP का गढ़) में विशाल रैली की, जहां उन्होंने कहा “अगर बंगाल में मुझे या मेरे लोगों को निशाना बनाया गया, तो मैं पूरे देश को हिला दूंगी।” उन्होंने BJP पर CAA फॉर्म बांटकर हिंदुओं को फंसाने, हेलीकॉप्टर उड़ान रोकने और AI से नाम बदलने जैसे आरोप लगाए। उन्होंने CEC को पत्र लिखा कि SIR रोकें या 3 साल का समय दें। TMC ने 25 नवंबर को कोलकाता में रैली बुलाई है।
क्या ‘बड़ी गलती’ है यह विरोध ? विरोधियों का नजरिया
ममता का SIR विरोध राजनीतिक रूप से बड़ी गलती माना जा रहा है, खासकर BJP और उनके समर्थकों द्वारा। मुख्य कारण अवैध घुसपैठियों को बचाने का आरोप BJP का दावा है कि “SIR का मकसद अवैध बांग्लादेशी घुसपैठियों (ज्यादातर मुस्लिम) के नाम हटाना है, जिन्हें TMC ने वोट बैंक के लिए जोड़ा। ममता का विरोध इसे साबित करता है कि TMC अवैध वोटरों पर निर्भर है। इससे हिंदू वोटर (खासकर मातुआ समुदाय) नाराज हो रहे हैं, जो CAA से नागरिकता चाहते हैं लेकिन घुसपैठ के खिलाफ हैं। कुछ मातुआ SIR के खिलाफ भूख हड़ताल पर हैं, लेकिन BJP इसे TMC की “चोरी” बता रही है।
2026 चुनावों में नुकसान
बंगाल में 7.64 करोड़ फॉर्म बांटे गए, लेकिन सिर्फ 41% डिजिटाइज्ड। SIR से लाखों नाम कट सकते हैं, जो TMC के वोट बैंक (अल्पसंख्यक-आधारित) को चोट पहुंचाएगा। लेकिन विरोध से BJP को मुद्दा मिल गया है: “ममता घुसपैठियों की रक्षक हैं।” इससे BJP 2026 विधानसभा चुनाव में हिंदू एकजुटता का फायदा उठा सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि SIR पारदर्शी होना चाहिए, लेकिन ममता का आक्रामक रुख (राष्ट्रीय स्तर पर विरोध की धमकी) BJP को “राष्ट्रवादी” बनाता है।
मानवीय और सिस्टमिक समस्याएं
SIR में 41% फॉर्म ही डिजिटाइज्ड, नाम गलतियां (एक EPIC नंबर पर कई नाम), मृत लोगों के नाम जिंदा दिखना। इससे पैनिक फैला, सुसाइड हुए। ममता इसे BJP की साजिश बता रही हैं, लेकिन विरोध से BLOs पर दबाव बढ़ा। अगर SIR रुका, तो ECI पर सवाल उठेंगे, लेकिन ममता को “लोकतंत्र की दुश्मन” का ठप्पा लग सकता है।
वर्तमान स्थिति (26 नवंबर तक) प्रगति
3.15 करोड़ फॉर्म डिजिटाइज्ड (41%)। ड्राफ्ट रोल 9 दिसंबर को। उत्तरी 24 परगना जैसे बॉर्डर इलाकों में रिवर्स माइग्रेशन (अवैध बांग्लादेशी भाग रहे)। TMC ने संसद में विरोध की योजना बनाई। ममता ने खुद फॉर्म नहीं भरा, कहा “पूरे बंगाल के बाद भरूंगी”। BJP ने CAA को तेज किया, मातुआ को ललचाने के लिए। यह विरोध ममता को अल्पसंख्यकों में मजबूत बनाता है, लेकिन हिंदू-केंद्रित वोट (30-35%) खिसक सकता है। 2026 चुनावों में SIR परिणाम निर्णायक होंगे। अगर नाम कटे, TMC हाईकोर्ट जा सकती है। कुल मिलाकर, विरोध से ममता “लड़ाकू” दिख रही हैं, लेकिन “गलती” यह है कि इससे BJP को “राष्ट्रीय सुरक्षा” का मुद्दा मिल गया।