
स्पेशल डेस्क
भारत सरकार ने 12 दिसंबर को केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में 2027 की होने वाली जनगणना के लिए ₹11,718 करोड़ के बजट को मंजूरी दे दी है। यह निर्णय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली कैबिनेट बैठक में लिया गया, जिसमें केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान विस्तृत जानकारी साझा की। यह जनगणना देश की 16वीं सामान्य जनगणना होगी, जो स्वतंत्रता के बाद की आठवीं जनगणना के रूप में चिह्नित होगी। खास बात यह है कि यह पहली बार पूर्णतः डिजिटल जनगणना होगी, जिसमें स्व-गणना (सेल्फ-एन्युमरेशन) का विकल्प उपलब्ध होगा। आइए, इसकी पूरी रिपोर्ट को विस्तार में एग्जीक्यूटिव एडिटर प्रकाश मेहरा से समझते हैं।
पिछली जनगणना महामारी के कारण स्थगित
भारत में जनगणना हर दशक में होती है। आखिरी जनगणना 2011 में हुई थी, जिसमें देश की जनसंख्या 121 करोड़ से अधिक दर्ज की गई थी। 2021 की जनगणना कोविड-19 महामारी के कारण स्थगित कर दी गई थी, जिससे यह प्रक्रिया 6 वर्ष की देरी से हो रही है।
यह जनगणना जनगणना अधिनियम, 1948 और जनगणना नियम, 1990 के तहत आयोजित की जाएगी। यह केंद्र सरकार का विषय है और रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया (RGI) के नेतृत्व में गृह मंत्रालय द्वारा संचालित होगी। जनगणना देश का सबसे बड़ा प्रशासनिक और सांख्यिकीय अभ्यास है। यह सरकारी नीतियों, संसाधन वितरण, निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन और सामाजिक-आर्थिक योजना के लिए आधारभूत डेटा प्रदान करती है। इस बार इसमें जातिगत आंकड़ों का संग्रह भी शामिल होगा, जो एक ऐतिहासिक कदम है।
बजट और वित्तीय मंजूर बजट
₹11,718 करोड़ (कुछ स्रोतों में प्रस्तावित बजट ₹14,618.95 करोड़ का उल्लेख है, लेकिन कैबिनेट ने इसे ₹11,718 करोड़ पर मंजूर किया)।यह राशि दोनों चरणों के संचालन, डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर, कर्मियों की ट्रेनिंग, मोबाइल ऐप विकास, जियो-टैगिंग और डेटा प्रोसेसिंग के लिए खर्च होगी। 2011 की जनगणना पर लगभग ₹2,200 करोड़ खर्च हुए थे, जबकि 2021 के लिए प्रस्तावित ₹12,000 करोड़ था। इस बार डिजिटल रूपांतरण के कारण लागत बढ़ी है।
कैसे होगी चरणबद्ध योजना !
जनगणना दो चरणों में होगी, जो पारंपरिक पेपर-आधारित प्रक्रिया से अलग होगी।
पहला चरण:- हाउस लिस्टिंग और हाउसिंग सेंसस आवासों की सूची बद्धता और आवासीय सुविधाओं का सर्वेक्षण। इसमें घरों की संरचना (दीवार, फर्श, छत), शौचालय, पानी, बिजली जैसी सुविधाओं की जानकारी शामिल होगी। अप्रैल 2026 से सितंबर 2026 सभी आवासीय और गैर-आवासीय भवनों की जियो-टैगिंग पहली बार होगी। बर्फीले क्षेत्रों (जैसे जम्मू-कश्मीर, हिमाचल) के लिए विशेष व्यवस्था सितंबर 2026 में गणना।
दूसरा चरण:- जनसंख्या गणना व्यक्तिगत डेटा संग्रह, जिसमें नाम, उम्र, लिंग, जाति, शिक्षा, रोजगार आदि शामिल। संदर्भ तिथि: 1 मार्च 2027 (00:00 बजे) – इससे पहले जन्मे व्यक्ति ही गिने जाएंगे। फरवरी 2027 से मार्च 2027 मुख्य गणना, जिसमें जातिगत आंकड़े भी।
डिजिटल विशेषताएं पहली बार का बदलाव
अश्विनी वैष्णव ने जोर देकर कहा कि यह पहली डिजिटल जनगणना होगी, जो पारदर्शिता, गति और सटीकता बढ़ाएगी। मुख्य विशेषताएं स्व-गणना (सेल्फ-एन्युमरेशन) लोग विशेष वेब पोर्टल या मोबाइल ऐप के माध्यम से खुद अपना डेटा भर सकेंगे। इससे घर-घर जाकर गणना का बोझ कम होगा।
लगभग 30-35 लाख गणनाकार (enumerators) अपने स्मार्टफोन (Android/iOS) पर ऐप का उपयोग करेंगे। यह ऐप 2021 की योजना के लिए विकसित किया गया था। डेटा सीधे सेंट्रल सर्वर पर अपलोड होगा। RGI एक वेबसाइट विकसित कर रहा है, जो पूरी प्रक्रिया की लाइव निगरानी करेगी। 2011 से अंतर पहले पेपर फॉर्म इस्तेमाल होते थे, जो मैनुअल प्रोसेसिंग के कारण धीमे थे। अब डिजिटल होने से त्रुटियां कम होंगी और नतीजे 9 महीनों में (दिसंबर 2027 तक) उपलब्ध हो जाएंगे (पहले 18 महीने लगते थे)। राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) को भी अपडेट किया जाएगा।
कार्यबल और तैयारी कर्मचारी
30 लाख से अधिक गणनाकार और पर्यवेक्षक तैनात किए जाएंगे (2011 में 27 लाख थे, यानी 30% वृद्धि)। ये सरकारी कर्मचारी, शिक्षक आदि होंगे। डिजिटल टूल्स के लिए विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा। केंद्र ने 16 जून 2025 को राजपत्र अधिसूचना जारी की थी। राज्य सरकारें स्थानीय स्तर पर समन्वय करेंगी। ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट पहुंच, डिजिटल साक्षरता और गोपनीयता सुनिश्चित करना प्रमुख मुद्दे होंगे।
क्या हैं अन्य कैबिनेट फैसले !
इस बैठक में जनगणना के अलावा दो अन्य बड़े फैसले लिए गए कोयला आपूर्ति CoalSETU नीति को मंजूरी, जो आपूर्ति श्रृंखला में पारदर्शिता बढ़ाएगी। खरीफ फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर निर्णय। यह जनगणना न केवल जनसंख्या का सटीक आकलन करेगी, बल्कि डिजिटल इंडिया की दिशा में एक बड़ा कदम होगी।