
सरल डेस्क
ऑपरेशन सिंदूर भारत द्वारा जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में शुरू किया गया एक सैन्य अभियान है। इस ऑपरेशन में भारतीय सेना ने पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया, जिसमें 100 से अधिक आतंकियों को मार गिराया गया। यह अभियान 7 मई 2025 को शुरू हुआ और अभी भी जारी है। इसने न केवल सैन्य बल्कि राजनीतिक और कूटनीतिक स्तर पर भी व्यापक चर्चा को जन्म दिया है।
संसद में चर्चा की तारीख और समय
ऑपरेशन सिंदूर और पहलगाम आतंकी हमले पर संसद में चर्चा के लिए सरकार और विपक्ष के बीच सहमति बन गई है। लोकसभा में 28 जुलाई को और राज्यसभा में 29 जुलाई को इस मुद्दे पर चर्चा होगी। दोनों सदनों में 16-16 घंटे की चर्चा निर्धारित की गई है।
सरकार का पक्ष रखने वाले नेता
संसद में ऑपरेशन सिंदूर पर सरकार की ओर से निम्नलिखित नेता पक्ष रखेंगे: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह: वे लोकसभा और राज्यसभा दोनों में चर्चा की शुरुआत करेंगे और मुख्य रूप से जवाब देंगे। उन्होंने पहले ही सेना प्रमुखों और चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) के साथ बैठक कर इसकी तैयारी शुरू कर दी है।
गृह मंत्री अमित शाह वे ऑपरेशन के कूटनीतिक और आंतरिक सुरक्षा पहलुओं पर सरकार का पक्ष रखेंगे। शाह ने पहले भी ऑपरेशन सिंदूर को भारत की संप्रभुता की रक्षा का प्रतीक बताया है।
विदेश मंत्री एस. जयशंकर वे वैश्विक मंचों पर भारत के रुख को स्पष्ट करेंगे और ऑपरेशन के अंतरराष्ट्रीय प्रभावों पर चर्चा करेंगे। जयशंकर ने पहले कहा है कि आतंकवाद के खिलाफ भारत की नीति जीरो टॉलरेंस की है। बीजेपी सांसद अनुराग ठाकुर और निशिकांत दुबे भी लोकसभा में चर्चा में हिस्सा लेंगे।
क्या है विपक्ष का रुख ?
विपक्ष ने शुरू में सरकार पर ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा से बचने का आरोप लगाया था, लेकिन अब सहमति बनने के बाद वे भी इस चर्चा में सक्रिय रूप से भाग लेंगे। कांग्रेस नेता राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा है कि वे राष्ट्रीय हित में सरकार का समर्थन करते हैं। हालांकि, कुछ कांग्रेस नेताओं जैसे मणिशंकर अय्यर ने ऑपरेशन की आवश्यकता पर सवाल उठाए हैं। AIMIM नेता असदुद्दीन ओवैसी ने भी ऑपरेशन की सराहना की और आतंकवादी संगठनों के खिलाफ वैश्विक अभियान की वकालत की।
राजनीतिक और कूटनीतिक प्रभाव
ऑपरेशन सिंदूर पर जानकारी साझा करने के लिए सरकार ने कई सर्वदलीय बैठकें बुलाईं, जिनमें राजनाथ सिंह ने अध्यक्षता की। इन बैठकों में विपक्षी नेताओं को ऑपरेशन के लक्ष्यों और परिणामों की जानकारी दी गई। भारत ने ऑपरेशन सिंदूर पर अपना पक्ष वैश्विक मंचों पर रखने के लिए एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल बनाया, जिसमें कांग्रेस सांसद शशि थरूर का नाम शामिल है, हालांकि कांग्रेस ने दावा किया कि उन्होंने थरूर का नाम प्रस्तावित नहीं किया था।
बिहार चुनाव पर प्रभाव
कुछ विश्लेषकों का मानना है कि “ऑपरेशन सिंदूर का बिहार विधानसभा चुनाव पर प्रभाव पड़ सकता है, क्योंकि पीएम मोदी ने पहलगाम हमले का बदला लेने का ऐलान बिहार से ही किया था। हालांकि, बीजेपी और विपक्ष दोनों ने इसे राजनीतिक रंग देने से परहेज किया है।”
बीजेपी ने ऑपरेशन की सफलता को चिह्नित करने के लिए देशभर में 11 दिवसीय तिरंगा यात्रा शुरू की, जिसमें अमित शाह, राजनाथ सिंह और जेपी नड्डा जैसे नेता शामिल हुए।
ऑपरेशन को लेकर सवाल
कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर ने ऑपरेशन को लेकर सवाल उठाया कि जब युद्ध का समय नहीं है, तो यह ऑपरेशन क्यों चल रहा है। इसके जवाब में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और एनएसए अजित डोभाल ने भारत की स्वतंत्र नीति और सटीक खुफिया जानकारी पर जोर दिया।
विपक्ष ने संसद में हंगामे के जरिए चर्चा की मांग की, जिसके बाद सरकार ने 25 घंटे की चर्चा (लोकसभा में 16 घंटे और राज्यसभा में 9 घंटे) के लिए सहमति दी।
ऑपरेशन सिंदूर पर संसद में चर्चा के लिए सरकार की ओर से रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह, और विदेश मंत्री एस. जयशंकर मुख्य रूप से पक्ष रखेंगे। बीजेपी सांसद अनुराग ठाकुर और निशिकांत दुबे भी चर्चा में शामिल होंगे। यह चर्चा न केवल सैन्य कार्रवाई बल्कि भारत की आतंकवाद विरोधी नीति और राष्ट्रीय सुरक्षा के व्यापक पहलुओं को सामने लाएगी।