
यूपी डेस्क
मेरठ के दौराला थाना क्षेत्र के दादरी गांव में एक प्राचीन शिव मंदिर में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया। बिहार के सीतामढ़ी जिले का रहने वाला 35 वर्षीय मोहम्मद कासिम पिछले छह महीने से खुद को कृष्ण पुत्र संतोष बताकर मंदिर में पुजारी के रूप में रह रहा था। उसने न केवल अपनी पहचान छिपाई, बल्कि मंदिर में पूजा-पाठ करवाने के साथ-साथ भक्तों से दान भी इकट्ठा किया और हस्तरेखा पढ़ने जैसे कार्य भी किए।
कासिम ने मंदिर में रहने के लिए हिंदू धर्म की विधियों को यूट्यूब और अन्य माध्यमों से सीखा था। उसने भगवा वस्त्र पहनकर, तिलक लगाकर और मंत्रों का उच्चारण कर स्थानीय लोगों का विश्वास जीता। उसने दावा किया कि वह 20 साल पहले उत्तर प्रदेश आया था और दिल्ली, मेरठ, और मुजफ्फरनगर के मंदिरों में रहकर पूजा-पाठ सीखा। उसने अपने हाथ पर “कृष्ण” नाम भी गुदवाया था।
शिवरात्रि के दौरान भंडारे में कासिम
मामला तब सामने आया जब सावन की शिवरात्रि के दौरान भंडारे में कासिम के व्यवहार पर ग्रामीणों को शक हुआ। कुछ लोगों ने उससे आधार कार्ड मांगा, जिसे वह नहीं दिखा सका और कुछ समय के लिए गांव से गायब हो गया। बाद में वह फिर मंदिर लौटा, लेकिन ग्रामीणों ने उससे सख्ती से पूछताछ की। पूछताछ में उसने अपनी असली पहचान मोहम्मद कासिम के रूप में स्वीकार की और बताया कि उसके पिता अब्बास बिहार में मौलवी हैं।
इस खुलासे के बाद इलाके में हड़कंप मच गया। ग्रामीणों ने कासिम को पुलिस को सौंप दिया। पुलिस ने उसके खिलाफ धर्म छिपाने और मंदिर के दानपात्र से चोरी का मुकदमा दर्ज कर उसे जेल भेज दिया। मेरठ के एसपी सिटी आयुष विक्रम सिंह ने बताया कि “कासिम के पास से कुछ सामान बरामद हुआ है, जिसकी जांच चल रही है। खुफिया एजेंसियां भी इस मामले की गहन जांच कर रही हैं, क्योंकि यह धार्मिक और सामाजिक दृष्टिकोण से संवेदनशील माना जा रहा है।
मंदिर में “मुस्लिम वर्जित” के पोस्टर
इस घटना के बाद हिंदू संगठनों ने मंदिर पहुंचकर विरोध जताया और मंदिर का शुद्धिकरण किया। उन्होंने गंगाजल और दूध से भगवान शिव का जलाभिषेक कर शुद्धिकरण अनुष्ठान किया। हिंदू संगठन के सचिन सिरोही ने कासिम के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की और कहा कि इस तरह के कृत्य कांवड़ यात्रियों की आस्था को ठेस पहुंचाते हैं। मंदिर में “मुस्लिम वर्जित” के पोस्टर भी लगाए गए।
कासिम ने पुलिस को बताया कि “उसने हिंदू धर्म अपनाया है और वह साधु-संतों के साथ रहकर पूजा-पाठ करता रहा है। हालांकि, उसका आधार कार्ड न मिलने के कारण पुलिस उसकी पहचान की पुष्टि फिंगरप्रिंट के जरिए कर रही है। यह मामला सोशल मीडिया पर भी चर्चा का विषय बना हुआ है, जहां लोग इसे हिंदू धर्म की आस्था के साथ खिलवाड़ मान रहे हैं। कुछ ने इसकी तुलना फिल्म “जॉली LLB” के एक किरदार से की, जिसमें एक व्यक्ति मंदिर में पुजारी बनकर छिपता है।