
स्पेशल डेस्क
बिहार के सिवान जिले की मिंता देवी की तस्वीर वाली टी-शर्ट पहनकर विपक्षी सांसदों, खासकर कांग्रेस की प्रियंका गांधी और राहुल गांधी के नेतृत्व में इंडिया गठबंधन ने 12 अगस्त को संसद परिसर में प्रदर्शन किया। यह प्रदर्शन बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) और कथित “वोट चोरी” के खिलाफ था। विपक्ष का आरोप था कि मतदाता सूची में गड़बड़ियां हैं, और मिंता देवी का मामला इसका प्रतीक बन गया, जिनकी उम्र वोटर लिस्ट में 124 साल दर्ज की गई थी। टी-शर्ट पर “124 नॉट आउट” लिखा था, जो इस त्रुटि का मजाक उड़ाने के लिए था।
मिंता देवी कौन हैं ?
मिंता देवी सिवान के दरौंदा विधानसभा क्षेत्र के अरजानीपुर गांव की निवासी हैं। उनकी वास्तविक उम्र 35 साल है, और वह धनंजय सिंह की पत्नी हैं। वोटर लिस्ट में उनकी जन्मतिथि गलती से 1900 दर्ज हो गई, जिसके कारण उनकी उम्र 124 साल दिखाई गई। यह गड़बड़ी ऑनलाइन फॉर्म भरने के दौरान डेटा एंट्री में हुई। मिंता ने बताया कि उन्हें इस त्रुटि की जानकारी हाल ही में मिली, और वह इससे परेशान हैं। उनके ससुर तेज बहादुर सिंह ने इसे बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) की गलती बताया।
विपक्ष का प्रदर्शन और आरोप
विपक्षी सांसदों, जिनमें प्रियंका गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे, सोनिया गांधी, और अन्य शामिल थे, ने संसद के मकर द्वार पर “वोट चोर, गद्दी छोड़” जैसे नारे लगाए। उनका दावा था कि मतदाता सूची में फर्जी नाम और गलतियां, जैसे मिंता देवी का मामला, चुनाव आयोग की प्रक्रिया की निष्पक्षता पर सवाल उठाती हैं। राहुल गांधी ने कहा, “ऐसे मामले अनगिनत हैं,” और इसे “वोट चोरी” का हिस्सा बताया। विपक्ष ने SIR को वापस लेने और मतदाता सूची की पारदर्शिता की मांग की।
मिंता देवी का विपक्ष को जवाब !
मिंता देवी ने न्यूज़ एजेंसी ANI से बातचीत में कहा कि “उन्हें अपनी तस्वीर टी-शर्ट पर छपने की कोई जानकारी नहीं थी, और यह उनकी मर्जी के बिना हुआ। उन्होंने बताया कि उनका जन्म 1990 में हुआ, और पहले भी वोटर लिस्ट में नाम जोड़ने की कोशिश की थी, लेकिन सफलता नहीं मिली। इस बार साइबर कैफे के जरिए आवेदन करने पर उनका नाम सूची में आया, लेकिन गलत उम्र के साथ। वह और उनका परिवार इस विवाद से परेशान हैं।
चुनाव आयोग की प्रतिक्रिया
चुनाव आयोग ने इसे डेटा एंट्री की त्रुटि माना और कहा कि “मिंता देवी से संपर्क कर गलती सुधारने के लिए आवेदन ले लिया गया है। आयोग का कहना है कि “SIR का उद्देश्य मतदाता सूची को शुद्ध करना है, और ऐसी त्रुटियां सामान्य हैं। दावे और आपत्तियां 1 सितंबर 2025 तक दर्ज की जा सकती हैं।
मिंता देवी का मामला एक डेटा एंट्री त्रुटि का परिणाम है, जिसे विपक्ष ने मतदाता सूची में कथित गड़बड़ियों के खिलाफ प्रतीक के रूप में इस्तेमाल किया। यह घटना बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले चुनाव आयोग की प्रक्रिया और पारदर्शिता पर सवाल उठाती है। मिंता देवी ने अपनी तस्वीर के इस्तेमाल पर नाराजगी जताई, जिससे यह मामला और चर्चा में आ गया।