
सरल डेस्क
चुनाव आयोग ने हाल ही में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 के बाद EVM (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) और VVPAT (वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल) की जाँच की थी, जिसमें कोई गड़बड़ी नहीं पाई गई। इस जाँच में 10 विधानसभा सीटों पर 48 बैलट यूनिट्स, 31 कंट्रोल यूनिट्स, और 31 VVPAT मशीनों का डायग्नोस्टिक टेस्ट किया गया, जिसमें मॉक पोल के बाद EVM के परिणामों का VVPAT पर्चियों से मिलान हुआ और कोई अंतर नहीं मिला।
विपक्ष की चुप्पी के संभावित कारण
चुनाव आयोग ने दावा किया है कि जाँच उम्मीदवारों या उनके प्रतिनिधियों की मौजूदगी में की गई, जिससे पारदर्शिता बनी रही। इससे विपक्ष के पास ठोस आधार नहीं बचा हो सकता है कि वे इस जाँच को चुनौती दे सकें।
सुप्रीम कोर्ट ने अप्रैल 2024 में EVM-VVPAT के 100% मिलान की मांग वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया था, जिसमें कहा गया कि EVM में छेड़छाड़ संभव नहीं है और VVPAT स्लिप्स की गिनती हमेशा सटीक रही है। इससे विपक्ष को लग सकता है कि इस मुद्दे पर बार-बार सवाल उठाने से उनकी विश्वसनीयता प्रभावित हो सकती है।
क्या हैं राजनीतिक रणनीति ?
विपक्ष ने EVM के बजाय वोटर लिस्ट में धांधली के आरोपों पर ध्यान केंद्रित किया है, जैसा कि राहुल गांधी और अन्य नेताओं के बयानों से स्पष्ट है। EVM-VVPAT जाँच में कोई गड़बड़ी न मिलने के बाद विपक्ष ने इस मुद्दे को छोड़कर वोटर लिस्ट जैसे नए मुद्दों को प्राथमिकता दी हो सकती है।
हालांकि, कुछ विपक्षी नेताओं ने EVM पर सवाल उठाना जारी रखा है, लेकिन जाँच के ठोस परिणामों के सामने उनके पास कोई नया सबूत नहीं होने के कारण उनकी आवाज कमजोर पड़ रही है।
वोटर लिस्ट पर राहुल गांधी के आरोपों में कौन सी खामियां ?
राहुल गांधी ने आरोप लगाया है कि “वोटर लिस्ट में बड़े पैमाने पर गड़बड़ियां हैं, विशेष रूप से कर्नाटक की बेंगलूरु सेंट्रल लोकसभा सीट पर, जहाँ उन्होंने दावा किया कि 1 लाख से ज्यादा फर्जी वोटर्स के नाम शामिल थे। उनके अनुसार, इन फर्जी वोटर्स की मदद से बीजेपी ने चुनावों में धांधली की।
आरोपों में खामियां, सबूतों की कमी
राहुल गांधी ने दावा किया कि उनके पास 70-80 सीटों पर धांधली के सबूत हैं, लेकिन इन्हें सार्वजनिक नहीं किया गया। बिना ठोस सबूत के ये आरोप कमजोर पड़ते हैं। वोटर लिस्ट चुनाव से पहले सभी राजनीतिक दलों को उपलब्ध होती है। अगर गड़बड़ी थी, तो कांग्रेस ने चुनाव से पहले इसकी जाँच क्यों नहीं कराई? यह सवाल उनकी विश्वसनीयता पर प्रभाव डालता है।
राहुल गांधी ने कहा कि “वोटर लिस्ट में फर्जी वोटर्स शामिल थे, लेकिन यह साबित नहीं हुआ कि इन नामों से वोट डाले गए। बिना इस सबूत के धांधली का दावा अधूरा है।”
कर्नाटक में कांग्रेस सरकार की भूमिका
कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार है, और वोटर लिस्ट तैयार करने में राज्य सरकार के कर्मचारी (जैसे BLO) शामिल होते हैं। राहुल गांधी के आरोपों पर कर्नाटक के सहकारिता मंत्री के.एन. राजन्ना ने कहा था कि वोटर लिस्ट में गड़बड़ी के लिए कांग्रेस सरकार भी जिम्मेदार हो सकती है, जिसके बाद उन्हें इस्तीफा देना पड़ा। यह विवाद कांग्रेस के आरोपों को कमजोर करता है।
वोटर लिस्ट में डुप्लिकेट नाम, मृत वोटर्स, या गलत पते जैसी समस्याएँ भारत में पहले से मौजूद हैं और ये तकनीकी त्रुटियाँ हो सकती हैं, न कि सुनियोजित धांधली। राहुल गांधी ने इन्हें धांधली से जोड़ा, लेकिन इसके लिए कोई ठोस साक्ष्य नहीं दिया।
क्या है पूरा मामला ?
चुनाव आयोग ने EVM-VVPAT जाँच और वोटर लिस्ट के मुद्दों पर कई बयान और जाँचें जारी की हैं EVM-VVPAT जाँच महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 आयोग ने 10 विधानसभा सीटों पर EVM और VVPAT की जाँच की, जिसमें कोई गड़बड़ी नहीं मिली। मशीनों के मेमोरी और माइक्रोकंट्रोलर की जाँच की गई, और मॉक पोल के परिणाम VVPAT पर्चियों से पूरी तरह मेल खाते पाए गए।
सुप्रीम कोर्ट ने EVM-VVPAT के 100% मिलान की मांग को खारिज कर दिया और कहा कि EVM छेड़छाड़-मुक्त हैं। कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि मशीनों को 45 दिनों तक सुरक्षित रखा जाए और उम्मीदवारों को सत्यापन का अधिकार हो।
पारदर्शिता के उपाय
आयोग ने बताया कि “EVM और VVPAT की जाँच उम्मीदवारों की मौजूदगी में होती है, और मशीनों में कोई सॉफ्टवेयर लोड नहीं होता, जिससे छेड़छाड़ असंभव है। राहुल गांधी ने दावा किया कि वोटर लिस्ट में फर्जी वोटर्स के नाम जोड़े गए, जिससे बीजेपी को फायदा हुआ। उन्होंने कर्नाटक की एक सीट पर 1 लाख फर्जी वोटर्स का दावा किया।
चुनाव आयोग का जवाब
आयोग ने कहा कि वोटर लिस्ट तैयार करने में पारदर्शी प्रक्रिया अपनाई जाती है, और ड्राफ्ट लिस्ट सभी दलों को दी जाती है। 65 लाख वोटर्स को हटाने के दावों पर आयोग ने कहा कि मृत, डुप्लिकेट, या स्थानांतरित वोटर्स को हटाया गया, लेकिन इसकी विस्तृत जानकारी सार्वजनिक नहीं की गई, जिस पर विपक्ष ने सवाल उठाए। वोटर लिस्ट तैयार करने में बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) और राज्य सरकार के कर्मचारी शामिल होते हैं। यह प्रक्रिया मुख्य निर्वाचन अधिकारी और जिला निर्वाचन अधिकारियों की देखरेख में होती है।
विपक्ष का विरोध
विपक्षी दलों ने 11 अगस्त 2025 को संसद भवन से चुनाव आयोग के दफ्तर तक मार्च निकाला, जिसमें राहुल गांधी के आरोपों का समर्थन किया गया। हालांकि, दिल्ली पुलिस के साथ विवाद और कुछ सांसदों की तबीयत बिगड़ने से यह प्रदर्शन चर्चा में रहा। तेजस्वी यादव और योगेंद्र यादव जैसे नेताओं ने भी वोटर लिस्ट में धांधली के आरोप लगाए, लेकिन आयोग ने इनका खंडन करते हुए कहा कि प्रक्रिया पारदर्शी है।
EVM-VVPAT पर विपक्ष की चुप्पी
जाँच में कोई गड़बड़ी न मिलने, सुप्रीम कोर्ट के फैसले, और नए मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने के कारण विपक्ष EVM-VVPAT पर ज्यादा आक्रामक नहीं है। उनके दावों में ठोस सबूतों का अभाव, जाँच से पहले कार्रवाई न करना, और कर्नाटक में कांग्रेस सरकार की भूमिका जैसे मुद्दे उनके आरोपों को कमजोर करते हैं। चुनाव आयोग ने EVM-VVPAT को छेड़छाड़-मुक्त साबित किया है, जबकि वोटर लिस्ट पर विवाद जारी है। आयोग का दावा है कि “प्रक्रिया पारदर्शी है, लेकिन विपक्ष पारदर्शिता और सबूतों की कमी पर सवाल उठा रहा है।”