
भारत की आज़ादी को 79 वर्ष पूरे – संघर्ष, बदलाव और सुनहरी उपलब्धियों का साक्षी बना देश
स्पेशल डेस्क
नई दिल्ली – आज पूरा देश हर्षोल्लास के साथ 79वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है। लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री ने तिरंगा फहराया और देशवासियों को संबोधित किया। इस ऐतिहासिक अवसर पर यह याद करना ज़रूरी है कि 15 अगस्त 1947 को मिली आज़ादी के बाद भारत ने किन संघर्षों का सामना किया, और किस तरह अभूतपूर्व विकास की राह पर कदम रखा।
1947: विभाजन की पीड़ा और नए भारत की शुरुआत
आज़ादी के साथ ही भारत को विभाजन की विभीषिका झेलनी पड़ी। पाकिस्तान का निर्माण हुआ और लाखों लोग अपने घर छोड़कर शरणार्थी बने। सांप्रदायिक हिंसा से पूरा देश जूझ रहा था। देश के सामने बड़ी चुनौतियाँ थीं – गरीबी, अशिक्षा, बेरोजगारी, सामंती सोच, और औपनिवेशिक शोषण के घाव।
उस समय की स्थिति
साक्षरता दर: लगभग 12%
जीवन प्रत्याशा: मात्र 32 वर्ष
औद्योगीकरण: लगभग नगण्य
संविधान: लागू नहीं हुआ था (1950 में हुआ)
प्रति व्यक्ति आय: $60 से भी कम
1950 – संविधान लागू, लोकतंत्र की नींव पड़ी
26 जनवरी 1950 को भारत का संविधान लागू हुआ और देश बना एक संप्रभु, धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक गणराज्य। सत्ता आम जनता के हाथों में आई। इसके बाद देश ने लोकतंत्र के कई सफल चुनाव देखे और सत्ता के शांतिपूर्ण हस्तांतरण की मिसाल कायम की।
आर्थिक सुधार और विकास की राह
🔸 नियोजित विकास: 1951 में पहला पंचवर्षीय योजना लागू हुई। कृषि और भारी उद्योगों पर ज़ोर दिया गया।
🔸 हरित क्रांति (1960-70): डॉ. एम.एस. स्वामीनाथन जैसे वैज्ञानिकों की अगुवाई में भारत खाद्य संकट से निकला और अनाज में आत्मनिर्भर बना।
🔸 1991: आर्थिक उदारीकरण की क्रांति डॉ. मनमोहन सिंह और तत्कालीन सरकार द्वारा विदेशी निवेश, निजीकरण और वैश्विक बाजार के लिए दरवाज़े खोले गए। इससे भारत की आर्थिक गति तेज हुई और आईटी, सेवा और निर्माण क्षेत्र में नई ऊर्जा आई।
🔸 2020 के बाद डिजिटल भारत: UPI, आधार, डिजिलॉकर, ONDC जैसी योजनाओं ने देश को डिजिटल स्पेस में अग्रणी बनाया। भारत आज स्टार्टअप इकोसिस्टम में दुनिया के शीर्ष 3 देशों में है।
स्वास्थ्य और विज्ञान में क्रांति
AIIMS और आयुष्मान भारत जैसी योजनाओं से करोड़ों गरीबों को स्वास्थ्य सुविधा मिली।
कोरोना महामारी के दौरान भारत ने दो स्वदेशी टीके बनाए और दुनिया को भी वैक्सीन भेजी – ‘वैक्सीन मैत्री’ अभियान।
अंतरिक्ष और विज्ञान में भारत की छलांग
इसरो ने चंद्रयान, मंगलयान और अब गगनयान जैसे मिशनों से दुनिया को चौंका दिया। भारत अब स्पेस-टेक में अग्रणी देशों में गिना जाता है।
शिक्षा, महिला सशक्तिकरण और सामाजिक परिवर्तन
साक्षरता दर आज 77% के पार जा चुकी है।
नई शिक्षा नीति 2020 लागू की गई, जिसमें कौशल विकास और मातृभाषा में पढ़ाई पर ज़ोर है।
महिलाएं आज सशस्त्र बलों, अंतरिक्ष, राजनीति, खेल और कॉर्पोरेट दुनिया में आगे हैं।
दलितों, पिछड़ों और आदिवासियों को संवैधानिक अधिकार मिले, और आरक्षण व्यवस्था ने सामाजिक न्याय की ओर कदम बढ़ाया।
विश्व मंच पर भारत का बढ़ता कद
भारत आज G20, BRICS, SCO जैसे संगठनों में प्रमुख भूमिका निभा रहा है।
G20 की अध्यक्षता और ISA (International Solar Alliance) जैसी पहलें भारत की नेतृत्व क्षमता का प्रमाण हैं।
भारत अब “विश्वगुरु” बनने की ओर अग्रसर है – आध्यात्मिकता और तकनीक का समन्वय।
चुनौतियाँ अभी भी हैं…
बेरोजगारी और आर्थिक असमानता आज भी बड़े मुद्दे हैं।
जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण संकट भारत के सामने गंभीर प्रश्न बने हुए हैं।
राजनीतिक ध्रुवीकरण, फेक न्यूज और सांप्रदायिकता से सामाजिक सौहार्द को खतरा है।
कृषि क्षेत्र अभी भी संकट में है – किसानों की आय और आत्महत्याएं चिंता का विषय हैं।
नए भारत की ओर कदम
प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में ‘विकसित भारत @2047’ के विज़न को दोहराया। अमृतकाल (2022-2047) को भारत के पुनर्निर्माण की अवधि बताया गया है – जहां हर नागरिक का सपना, राष्ट्र का संकल्प बन जाए।
विकसित भारत की यात्रा
15 अगस्त 2025 को जब हम 79वां स्वतंत्रता दिवस मना रहे हैं, तो यह सिर्फ उत्सव नहीं, बल्कि संघर्षों से मिली चेतना, और विकास की दिशा में बढ़ते आत्मविश्वास का प्रतीक है।
एक आज़ाद भारत से, अब आत्मनिर्भर और विकसित भारत की यात्रा – ये 78 साल इतिहास के पन्नों में स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज हो चुके हैं।
अब आने वाले वर्षों में ज़रूरत है – समावेशी, संवेदनशील और सतत विकास की।
“तिरंगा केवल एक ध्वज नहीं, वह हमारी आत्मा है – संघर्षों की छाया और सपनों का उजाला।”