
सरल डेस्क
79वें स्वतंत्रता दिवस (15 अगस्त ) की पूर्व संध्या पर, भारत सरकार ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और अन्य सैन्य अभियानों में असाधारण साहस और वीरता का प्रदर्शन करने वाले सशस्त्र बलों के जवानों को वीरता पुरस्कारों से सम्मानित किया। इस बार कुल 127 वीरता पुरस्कार, 40 विशिष्ट सेवा पुरस्कार, और 290 मेंशन-इन-डिस्पैच की घोषणा की गई। इनमें विशेष रूप से तीन अग्निवीरों को उनके अदम्य शौर्य के लिए सम्मानित किया गया।
ऑपरेशन सिंदूर एक महत्वपूर्ण अभियान
‘ऑपरेशन सिंदूर’ भारत के सैन्य इतिहास में एक महत्वपूर्ण अभियान है, जिसे 7 मई को शुरू किया गया था। यह ऑपरेशन 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए पाकिस्तान प्रायोजित आतंकी हमले के जवाब में शुरू किया गया, जिसमें 26 लोग, मुख्य रूप से पर्यटक, मारे गए थे। इस हमले के जवाब में भारतीय सेना और वायुसेना ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) और पाकिस्तान के भीतर आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया। ऑपरेशन के दौरान 9 आतंकी ठिकानों को नष्ट किया गया और 100 से अधिक आतंकवादी मारे गए। यह अभियान मुरीदके और बहावलपुर जैसे आतंकी गढ़ों पर केंद्रित था, जिसने भारत की सैन्य शक्ति और रणनीतिक कौशल को प्रदर्शित किया।
तीन अग्निवीरों को वीरता पुरस्कार
‘ऑपरेशन सिंदूर’ में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले तीन अग्निवीरों को वीरता पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है
कुलबीर सिंह: सेना मेडल (गैलेंट्री) से सम्मानित।
मुरली नायक: सेना मेडल (गैलेंट्री) से सम्मानित।
तीसरे अग्निवीर : मेंशन-इन-डिस्पैच से सम्मानित।
ये पुरस्कार अग्निवीर योजना के तहत भर्ती हुए युवा सैनिकों की बहादुरी और समर्पण को रेखांकित करते हैं। इन जवानों ने आतंकवाद के खिलाफ इस महत्वपूर्ण अभियान में अपनी जान जोखिम में डालकर देश की सुरक्षा सुनिश्चित की।
वीरता पुरस्कारों से सम्मानित किया गया
‘ऑपरेशन सिंदूर’ में भाग लेने वाले अन्य सैनिकों और अधिकारियों को भी विभिन्न वीरता पुरस्कारों से सम्मानित किया गया
वीर चक्र: 15 जवानों को, जिनमें 9 भारतीय वायुसेना के लड़ाकू पायलट (ग्रुप कैप्टन रणजीत सिंह सिद्धू, मनीष अरोड़ा, अनिमेष पाटनी, कुणाल कालरा, विंग कमांडर जॉय चंद्रा, स्क्वाड्रन लीडर सार्थक कुमार, सिद्धांत सिंह, रिजवान मलिक, फ्लाइट लेफ्टिनेंट अर्शवीर सिंह ठाकुर) और 4 थल सेना के जवान (कर्नल कोशांक लांबा, लेफ्टिनेंट कर्नल सुशील बिष्ट, नायब सूबेदार सतीश कुमार, राइफलमैन सुनील कुमार) शामिल हैं। वीर चक्र युद्धकालीन वीरता का तीसरा सर्वोच्च पुरस्कार है।
शौर्य चक्र: 16 जवानों को, जिनमें 8 थल सेना, 2 नौसेना, 1 वायुसेना, और 4 गृह मंत्रालय के जवान शामिल हैं। वायुसेना से विंग कमांडर अभिमन्यु सिंह को यह सम्मान मिला।
कीर्ति चक्र: 4 जवानों को, जिनमें कैप्टन लालरिनावामा सालियो, लेफ्टिनेंट शशांक तिवारी, लांस नायक मीनाक्षी सुंदरम, और सिपाही प्रवीन प्रभाकर शामिल हैं। यह शांतिकाल में दूसरा सर्वोच्च वीरता पुरस्कार है।
सर्वोत्तम युद्ध सेवा पदक
7 अधिकारियों को, जिनमें थल सेना से लेफ्टिनेंट जनरल प्रतीक शर्मा और लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई, वायुसेना से एयर मार्शल नर्मदेश्वर तिवारी, एयर मार्शल जीतेंद्र मिश्रा, एयर मार्शल अवधेश कुमार भारती, और नौसेना से वाइस एडमिरल संजय जसजीत सिंह शामिल हैं। यह युद्धकालीन सबसे प्रतिष्ठित सैन्य सम्मान है।
वायुसेना मेडल (गैलेंट्री) 26 वायुसेना के अधिकारियों और सैनिकों को, जिनमें S-400 और अन्य वायु रक्षा प्रणालियों का संचालन करने वाले जवान शामिल हैं। सीमा सुरक्षा बल (BSF) के 16 जवानों को वीरता पदक से सम्मानित किया गया, जिन्होंने ऑपरेशन के दौरान अदम्य साहस दिखाया।
ऑपरेशन की विशेषताएं रणनीतिक सफलता
ऑपरेशन सिंदूर में भारतीय वायुसेना ने बिना सीमा पार किए, 22 मिनट में आतंकी ठिकानों को नष्ट किया। स्वदेशी मिसाइल सिस्टम जैसे आकाश, पिकोरा, और ओएसए-एके का उपयोग किया गया।
S-400 का उपयोग: वायुसेना ने S-400 वायु रक्षा प्रणाली का उपयोग कर पाकिस्तानी हमलों को नाकाम किया।
नौसेना की भूमिका: नौसेना ने पहलगाम हमले के बाद रणनीतिक रूप से अपनी संपत्तियों को तैनात किया।
अग्निवीरों की भूमिका: 3,000 अग्निवीरों ने इस ऑपरेशन में हिस्सा लिया और पाकिस्तानी हमलों को विफल करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
राष्ट्रपति और सरकार का संदेश
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इन पुरस्कारों को मंजूरी दी और कहा कि ऑपरेशन सिंदूर आतंकवाद के खिलाफ भारत की दृढ़ता का प्रतीक है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी लाल किले से अपने संबोधन में इस ऑपरेशन की सफलता को रेखांकित किया। स्वतंत्रता दिवस समारोह में ऑपरेशन सिंदूर का लोगो निमंत्रण पत्रों और हेलीकॉप्टर प्रदर्शन में शामिल किया गया, जो इस अभियान के महत्व को दर्शाता है।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ भारत की सैन्य शक्ति और आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति का प्रतीक है। तीन अग्निवीरों सहित सभी सम्मानित सैनिकों ने अपने साहस और बलिदान से देश का गौरव बढ़ाया। यह ऑपरेशन न केवल सैन्य दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भारत के युवा सैनिकों, विशेष रूप से अग्निवीरों, की क्षमता को भी उजागर करता है।