
अनिल गुप्ता
नई दिल्ली
दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने आज तालकटोरा स्टेडियम में शिक्षक दिवस की पूर्व संध्या पर एनडीएमसी की नई शैक्षिक पहल “विकास भी, विरासत भी” का शुभारंभ किया। इस पहल से एनडीएमसी स्कूलों के 28,000 से अधिक छात्र लाभान्वित होंगे। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने एनडीएमसी के 15 उत्कृष्ट शिक्षकों को सम्मानित भी किया।
कार्यक्रम में दिल्ली सरकार के मंत्री प्रवेश साहिब सिंह वर्मा, नई दिल्ली की सांसद बांसुरी स्वराज, एनडीएमसी अध्यक्ष केशव चंद्रा, उपाध्यक्ष कुलजीत सिंह चहल, परिषद सदस्य अनिल वाल्मीकि और दिनेश प्रताप सिंह, ओएसडी (शिक्षा) रंजना देसवाल सहित वरिष्ठ अधिकारी, शिक्षक, स्कूल प्रमुख और छात्र बड़ी संख्या में उपस्थित थे।

मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने कहा कि “शिक्षक हमारे राष्ट्र के शिल्पकार हैं। जिस प्रकार एक छोटा सा बीज देखभाल पाकर वटवृक्ष बनता है, उसी प्रकार शिक्षक के मार्गदर्शन में विद्यार्थी मजबूत और जिम्मेदार नागरिक बनते हैं।” उन्होंने कहा कि यह नया पाठ्यक्रम विद्यार्थियों को आधुनिक ज्ञान के साथ भारतीय संस्कृति, परंपराओं और जीवन मूल्यों से जोड़ने का काम करेगा।
मुख्यमंत्री ने पर्यावरण संरक्षण पर भी जोर देते हुए कहा कि “नदियों, जंगलों और जल-संसाधनों को बचाना हमारी नैतिक जिम्मेदारी है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “स्वच्छ भारत” और “विकास भी, विरासत भी” दृष्टिकोण को साकार करने का आह्वान किया।”
दिल्ली सरकार के मंत्री प्रवेश वर्मा ने कहा कि “एनडीएमसी ने अपने नए पाठ्यक्रम में विकास के साथ विरासत को भी जोड़ा है। उन्होंने यमुना नदी को विरासत मानकर उसके संरक्षण पर बल दिया।”
सांसद बांसुरी स्वराज ने शिक्षकों को बधाई देते हुए कहा कि “यह पहल देश की विरासत और संस्कृति को नई पीढ़ी से जोड़ने का कार्य करेगी। उन्होंने इसे प्रधानमंत्री के “संकल्प से सिद्धि तक” विजन की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बताया।”
एनडीएमसी अध्यक्ष केशव चंद्रा ने कहा कि “नए पाठ्यक्रम में योग, अंकगणित और प्राचीन ज्ञान परंपराओं को शामिल किया गया है। वहीं, उपाध्यक्ष कुलजीत सिंह चहल ने बताया कि यह पहल पंच प्राण, प्रकृति से शिक्षा, योग और भारतीय ज्ञान परंपरा को शिक्षा में शामिल करके विद्यार्थियों को समग्र विकास का मार्ग दिखाएगी।
कार्यक्रम में “विकास भी, विरासत भी” विजन पर आधारित एक विशेष पुस्तिका का भी विमोचन किया गया।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने एनडीएमसी के 15 उत्कृष्ट शिक्षकों को सम्मानित किया। इनमें मोनिका आनंद, रमा जोशी, डॉ. रचना मोहन, नरेश कुमार, सीवेंद्र सिंह, देब डी. दत्ता, कमलेश कुमारी, रेणु सचदेवा, हरीश कुमार रावत, वर्षा सिंह, कैलाश चंद्र दक्ष, संजय कुमार यादव, पारुल चौधरी, एस. ग्लोरी मैरी और सरोज शामिल रहे।
अंत में, ओएसडी (शिक्षा) रंजना देसवाल ने धन्यवाद ज्ञापित किया और कहा कि यह पहल परंपरा और आधुनिकता का मिश्रण बनकर पूरे देश के लिए एक आदर्श शिक्षा मॉडल साबित होगी।