
सरल डेस्क
नेपाल की राजधानी काठमांडू और अन्य शहरों में भारी हिंसा और विरोध प्रदर्शनों के बीच प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। यह घटना सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगाने और भ्रष्टाचार के आरोपों से शुरू हुई, जो मात्र 24 घंटे में एक बड़े राजनीतिक संकट में बदल गई। युवाओं (खासकर जेन-जेड) के नेतृत्व में शुरू हुए आंदोलन ने ओली सरकार को सत्ता से बेदखल कर दिया, जिसे कई लोग ‘तख्तापलट’ बता रहे हैं।
सोशल मीडिया बैन का फैसला
नेपाल सरकार ने फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हाट्सऐप, एक्स (ट्विटर), यूट्यूब समेत 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर प्रतिबंध लगा दिया। सरकार का दावा था कि ये कंपनियां नेपाल में रजिस्ट्रेशन के नियमों का पालन नहीं कर रही हैं और ‘राष्ट्रीय सुरक्षा’ को खतरा हैं। कई विशेषज्ञों ने इसे चीन-मॉडल सेंसरशिप का प्रयास बताया, क्योंकि ओली सरकार चीन के करीब रही है। युवाओं ने इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला माना। नेपाल की 43% आबादी (15-40 वर्ष के युवा) ने सोशल मीडिया को अपनी आवाज का माध्यम बनाया था। भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और कमजोर अर्थव्यवस्था के मुद्दों पर पहले से असंतोष था, जो अब फूट पड़ा।
8 सितंबर हिंसा का पहला दिन – 24 घंटे का हंगामा शुरू काठमांडू, भक्तपुर, ललितपुर और अन्य शहरों में हजारों युवा सड़कों पर उतरे। नारे लगे: “ओली चोर, देश छोड़ो!”, “सोशल मीडिया बंद मत करो, भ्रष्टाचार बंद करो!”। प्रदर्शनकारियों ने संसद भवन पर हमला किया, जहां पुलिस ने रबर बुलेट्स, आंसू गैस और लाइव गोलीबारी की। कम से कम 19-22 लोग मारे गए (ज्यादातर युवा), 300 से ज्यादा घायल। स्वास्थ्य मंत्रालय ने 22 मौतों की पुष्टि की।
सरकार की प्रतिक्रिया
ओली ने प्रदर्शनकारियों को ‘ट्रबलमेकर्स’ कहा और बैन हटाने से इनकार किया। लेकिन दबाव बढ़ने पर देर रात कैबिनेट ने बैन हटा लिया। कर्फ्यू लगाया गया, स्कूल-कॉलेज बंद, ट्रिबुवन इंटरनेशनल एयरपोर्ट अस्थायी रूप से बंद।
नेपाली कांग्रेस (कोअलिशन पार्टनर) के गृह मंत्री रमेश लेखक, कृषि मंत्री रामनाथ अधिकारी, स्वास्थ्य मंत्री प्रदीप पौडेल समेत 5 मंत्रियों ने इस्तीफा दिया। नेपाली कांग्रेस के महासचिव गगन थापा ने ओली से इस्तीफे की मांग की। काठमांडू मेयर बालेन शाह ने ओली को ‘आतंकवादी’ कहा।
ओली का ‘सरेंडर’ – इस्तीफा और तख्तापलट
कर्फ्यू के बावजूद प्रदर्शन जारी। युवाओं ने ओली के निजी आवास (भक्तपुर में) पर हमला किया और आग लगा दी। राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल के आवास, नेपाली कांग्रेस कार्यालय, पूर्व पीएम शेर बहादुर देउबा और पुष्प कमल दहाल (प्रचंड) के घरों पर तोड़फोड़ और आगजनी हुई।
मंत्रियों पर हमले: वित्त मंत्री, डिप्टी पीएम बिष्णु प्रसाद को प्रदर्शनकारियों ने पीटा। केंद्रीय बैंक गवर्नर के घर पर भी हमला।
संसद में आग
सैकड़ों प्रदर्शनकारी संसद भवन में घुसे और मुख्य इमारत को आग लगा दी। सुप्रीम कोर्ट पर भी धावा बोला गया। नेपाली सेना तैनात, लेकिन स्थिति बेकाबू। दोपहर में ओली ने राष्ट्रपति को इस्तीफा सौंपा। उनके सहायक प्रकाश सिलवाल ने पुष्टि की। ओली ने कहा, “मैं सभी पक्षों से बातचीत कर रहा हूं, लेकिन शांति बनाए रखें।” सेना प्रमुख जनरल अशोक राज सिग्देल ने ओली से इस्तीफे की सलाह दी थी।
सूत्रों के मुताबिक, ओली दुबई भागने की तैयारी में हैं (मेडिकल ट्रीटमेंट का बहाना)। हेलीकॉप्टर से 7 मंत्रियों के साथ अज्ञात जगह गए। सेना ने उन्हें सुरक्षा घेरे में लिया।
मौतें, घायल और प्रभाव
कुल मौतें 22 (पुलिस गोलीबारी से)। ज्यादातर युवा, जिनमें छात्र शामिल। घायल 300+। मानवाधिकार संगठनों ने पुलिस पर ‘घातक बल’ के इस्तेमाल का आरोप लगाया। कर्फ्यू से ट्रांसपोर्ट बंद, उड़ानें रद्द (दिल्ली-काठमांडू सहित)। भारत ने सीमा पर हाई अलर्ट जारी किया (यूपी, बिहार, प. बंगाल)। अमेरिका, यूके, फ्रांस समेत 9 देशों के दूतावासों ने ‘शांति’ की अपील की। भारत ने नागरिकों को सतर्क रहने को कहा।
क्यों हुआ यह तख्तापलट ?
युवाओं की आवाज दबाने का प्रयास। नेपाल में 43% युवा आबादी सोशल मीडिया पर सक्रिय। ओली सरकार पर नेपोटिज्म, क्रोनी कैपिटलिज्म के आरोप। 2024-25 में कई घोटाले (जैसे लैंड कमीशन ब्राइबरी, नेपाल टेलीकॉम अनियमितताएं)। बाढ़, बेरोजगारी, चीन पर निर्भरता। ओली की विदेश नीति (चीन झुकाव) ने भारत से तनाव बढ़ाया। ओली की 5वीं बार सत्ता (जुलाई 2024 से)। नेपाली कांग्रेस के साथ कोअलिशन टूटा।बांग्लादेश (शेख हसीना का पतन) से प्रेरित। युवा ‘जन-जेड मूवमेंट’ चला रहे, जिसमें हत्या के आरोपियों पर मुकदमा चलाने की मांग।

अब आगे क्या ? अंतरिम सरकार
राष्ट्रपति पौडेल नई सरकार बनाने की प्रक्रिया शुरू करेंगे। नेपाली कांग्रेस या अन्य दल सत्ता ले सकते हैं। युवा जल्द चुनाव और भ्रष्टाचार पर कार्रवाई चाहते हैं। प्रदर्शनकारी हत्या और भ्रष्टाचार के केस चलाने की मांग कर रहे। भारत-नेपाल सीमा पर तनाव। चीन का प्रभाव कम हो सकता है। यह एशिया में युवा विद्रोह का नया उदाहरण है (श्रीलंका, बांग्लादेश जैसा)। स्थिति अभी अस्थिर। काठमांडू में कर्फ्यू जारी, सेना तैनात।