
सरल डेस्क
नेपाल की राजनीति में आया भूकंप जैसा बदलाव आज हर तरफ चर्चा का विषय है। “नया नेपाल” का नारा बुलंद करने वाली जनरेशन-जेड (Gen Z) की क्रांति ने पुरानी सरकार को उखाड़ फेंका और पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की को अंतरिम प्रधानमंत्री बना दिया। यह नेपाल का इतिहास रचने वाला पल है – पहली बार कोई महिला देश की कमान संभालेगी। लेकिन सवाल वही है: क्या सुशीला की ‘कमान’ से नेपाल की पुरानी बीमारियां – भ्रष्टाचार, अस्थिरता और आर्थिक संकट – ठीक हो पाएंगी? आइए, पूरी रिपोर्ट में डिटेल से समझते हैं।
क्या हुआ ? घटनाक्रम की टाइमलाइन
नेपाल में यह सब कुछ दिनों में ही हो गया। 8-9 सितंबर सोशल मीडिया बैन के खिलाफ काठमांडू में शांतिपूर्ण प्रदर्शन शुरू। जल्दी ही यह भ्रष्टाचार, नेपोटिज्म (भाई-भतीजावाद) और राजनीतिक एलीट्स के खिलाफ बड़े आंदोलन में बदल गया। Gen Z युवाओं ने संसद भवन, प्रधानमंत्री के घर और सरकारी इमारतों में आग लगा दी। 21 से ज्यादा लोग मारे गए – नेपाल के इतिहास का सबसे खूनी दिन।
10 सितंबर पीएम के.पी. शर्मा ओली को इस्तीफा देना पड़ा। सेना ने काठमांडू में कर्फ्यू लगाया और शहर पर कंट्रोल कर लिया। प्रदर्शनकारियों ने ‘Gen Z’ प्रतिनिधियों के जरिए सेना चीफ जनरल अशोक राज सिग्देल और राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल से बातचीत शुरू की।
चार उम्मीदवारों में से सुशीला कार्की
11 सितंबर प्रदर्शनकारियों ने चार उम्मीदवारों में से सुशीला कार्की को चुना। अन्य नाम कुलमान घिसिंग (पूर्व NEA चीफ), बालेंद्र शाह (काठमांडू मेयर) और हरका संपांग (धरान मेयर)। संसद भंग करने और 6 महीने में चुनाव कराने की मांग मानी गई। 12 सितंबर राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने शीतल निवास में सुशीला कार्की को अंतरिम पीएम के तौर पर शपथ दिलाई। बालानंद शर्मा पौडेल को होम मिनिस्टर और सुडान गुरुंग को इंफॉर्मेशन मिनिस्टर बनाया गया। भारत, अमेरिका और चीन के राजदूत मौजूद रहे।
13 सितंबर (आज) अंतरिम सरकार ने घोषणा की – मार्च 2026 तक नए चुनाव। पीएम मोदी ने ट्वीट कर बधाई दी “140 करोड़ भारतवासियों की ओर से सुशीला जी को बधाई। शांति और समृद्धि का मार्ग प्रशस्त करेंगी।”
भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस
यह बदलाव इतना तेज था कि नेपाल की सड़कें ‘युद्ध क्षेत्र’ जैसी हो गईं, लेकिन अब शांति के संकेत मिल रहे हैं।सुशीला कार्की कौन हैं? – ‘भ्रष्टाचार की दुश्मन’सुशीला कार्की (उम्र 73) नेपाल की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश रहीं (2016-2019)। उनका बैकग्राउंड मजबूत है शिक्षा भारत के बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (BHU) की पूर्व छात्रा। 1979 में बिराटनगर में वकील बनीं। 2009 में सुप्रीम कोर्ट जज, फिर चीफ जस्टिस। भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस। 2017 में सरकार के पुलिस चीफ चयन को रद्द करने पर इम्पीचमेंट मोशन का सामना किया, लेकिन जीत गईं। उन्हें ‘मेरिटोक्रेसी’ (योग्यता आधारित सिस्टम) की हिमायती माना जाता है। Gen Z ने उन्हें चुना क्योंकि वे ‘क्लीन इमेज’ वाली हैं। काठमांडू मेयर बालेंद्र शाह ने भी उनका समर्थन किया।
क्या संभल जाएगा नेपाल ?
सुशीला की सरकार अंतरिम है – सिर्फ 6 महीने। लेकिन नेपाल के जख्म गहरे हैं। भ्रष्टाचार और नेपोटिज्म प्रदर्शन इसी के खिलाफ थे। सुशीला को ‘गुड गवर्नेंस’ और ‘स्ट्रॉन्ग पोलिसिंग’ सुनिश्चित करनी होगी। 2008 से राजशाही खत्म होने के बाद नेपाल राजनीतिक उथल-पुथल में फंसा। लाखों युवा नौकरी के लिए विदेश जाते हैं। रेमिटेंस पर निर्भर अर्थव्यवस्था को मजबूत करना होगा। काठमांडू में अभी भी सैनिक तैनात। प्रदर्शनकारियों की मांगें पूरी न हुईं तो फिर आग लग सकती है। मार्च 2026 तक फेयर इलेक्शन। पुरानी पार्टियां (जैसे ओली की) वापसी की कोशिश करेंगी। भारत ने बधाई दी, लेकिन चीन का भी दखल है। सुशीला को बैलेंस करना होगा।
विशेषज्ञ क्या कहते हैं ?
सुशीला की इंटेग्रिटी उम्मीद जगाती है, लेकिन ‘पुरानी सिस्टम’ vs ‘नई जनरेशन’ का टकराव रहेगा। अगर वे भ्रष्टाचार पर सख्ती दिखाईं, तो ‘नया नेपाल’ का सपना सच हो सकता है। वरना, यह सिर्फ एक और अंतरिम सरकार साबित हो सकती है।
उम्मीद की किरण या नया संकट?
सुशीला कार्की का आना नेपाल के लिए ‘गेम चेंजर’ हो सकता है – पहली महिला पीएम के तौर पर वे प्रेरणा देंगी। Gen Z की ताकत ने साबित कर दिया कि युवा बदलाव ला सकते हैं। लेकिन सफलता इस पर निर्भर है कि वे कितनी जल्दी सुधार लागू करती हैं। आज नेपाल शांत लग रहा है, लेकिन सतर्क रहना होगा।