
स्पेशल डेस्क
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मणिपुर का दौरा किया, जो मई 2023 में मैतेई और कुकी समुदायों के बीच भड़की जातीय हिंसा के बाद उनका पहला दौरा था। यह दौरा लगभग 864 दिनों (करीब 28 महीने) बाद हुआ, जिस दौरान राज्य में 260 से अधिक मौतें और हजारों लोग विस्थापित हो चुके थे। पीएम ने चुराचांदपुर (कुकी बहुल क्षेत्र) और इंफाल (मैतेई बहुल) का दौरा किया, जहां उन्होंने आंतरिक रूप से विस्थापित लोगों से मुलाकात की और शांति व विकास पर जोर दिया। लेकिन यह दौरा विकास की सौगात लाने के साथ-साथ सियासी तूफान भी खड़ा कर गया। विपक्ष ने इसे “देर से जागना” बताते हुए तीखा हमला बोला, जबकि सरकार इसे शांति की दिशा में कदम करार दे रही है। आइए इस पूरे मामले को विस्तार से एग्जीक्यूटिव एडिटर प्रकाश मेहरा से समझते हैं।
दौरा का बैकग्राउंड..क्यों इतना संवेदनशील ?
मणिपुर में 2023 से चली आ रही हिंसा ने राज्य को दो हिस्सों में बांट दिया। चुराचांदपुर जैसे क्षेत्रों में ड्रोन हमले और संघर्ष जारी रहे। पीएम का न जाना विपक्ष के लिए बड़ा मुद्दा बना रहा। पीएम ने असम से शुरू कर मिजोरम होते हुए मणिपुर पहुंचे। भारी बारिश के कारण हेलीकॉप्टर न उड़ सका, तो सड़क मार्ग से 2 घंटे की यात्रा कर चुराचांदपुर गए। वहां पीस ग्राउंड में रैली की, जहां उन्होंने कहा, “मणिपुर मां भारती का मुकुट रत्न है। हम शांति के रास्ते पर चलेंगे।” इंफाल में रोड शो के दौरान लोगों ने तिरंगा लहराकर स्वागत किया, लेकिन कुछ जगहों पर विरोध भी हुआ। दौरा से पहले चुराचांदपुर को ‘ड्रोन निषिद्ध क्षेत्र’ घोषित किया गया। सुरक्षा बलों और उपद्रवियों के बीच झड़पें भी हुईं।
*मिजोरम-मणिपुर को क्या सौगात मिली ? *
विकास की बरसातपीएम के दो दिवसीय पूर्वोत्तर दौरे (असम, मणिपुर, मिजोरम) में कुल 30,000 करोड़ रुपये से अधिक की परियोजनाओं का ऐलान हुआ। खासतौर पर मणिपुर और मिजोरम को रेल, सड़क और बुनियादी ढांचे की बड़ी सौगातें मिलीं।
मुख्य परियोजनाएं
मणिपुर- चुराचांदपुर में 7,000 करोड़ की विकास योजनाओं का शिलान्यास (रेल, सड़क, स्वास्थ्य केंद्र)।इंफाल में मणिपुर पुलिस मुख्यालय (101 करोड़) और नागरिक सचिवालय (538 करोड़) का उद्घाटन।नए NH का निर्माण (8,700 करोड़, जिसमें 3,700 करोड़ खर्च हो चुके)। कुल: 8,500 करोड़ की परियोजनाएं। 8,500+ कनेक्टिविटी बढ़ेगी, विस्थापितों के पुनर्वास में मदद। पीएम ने कहा, “ये प्रोजेक्ट्स मणिपुर की प्रगति का संकल्प हैं।”
मिजोरम – बैराबी-सैरांग रेल लाइन (51.38 किमी) का उद्घाटन। तीन नई ट्रेनें हरी झंडी: दिल्ली-सैरांग राजधानी एक्सप्रेस (साप्ताहिक), कोलकाता-सैरांग (सप्ताह में 3 दिन), गुवाहाटी-सैरांग (दैनिक)। 5,000+ आइजोल को दिल्ली से सीधे रेल से जोड़ेगा, पूर्वोत्तर की कनेक्टिविटी मजबूत।
ये परियोजनाएं पूर्वोत्तर को मुख्यधारा से जोड़ने का हिस्सा हैं। पीएम ने मणिपुर में हाल के शांति समझौतों (हिल्स और वैली ग्रुप्स के बीच) का जिक्र कर कहा, “सरकार आपके साथ खड़ी है।
“विपक्ष क्यों परेशान ? सियासी बरसात के बादल
विपक्ष (खासकर कांग्रेस) ने दौरे को “राजनीतिक स्टंट” बताते हुए केंद्र सरकार पर लापरवाही का आरोप लगाया। राहुल गांधी ने कहा, “मणिपुर संकट में डूबा था, अब चुनावी मौसम में याद आया ?” संजय राउत (शिवसेना-UBT) ने तंज कसा, “जब राज्य जल रहा था तब नहीं गए, अब पद छोड़ने का समय आया तो पर्यटन पर निकल पड़े।”
शांति प्रयासों पर सवाल
विपक्ष का कहना है कि हिंसा के दौरान पीएम ने संसद में चर्चा से भी परहेज किया। मणिपुर कांग्रेस प्रमुख केशम मेघचंद्र ने कहा, “यह केंद्र की विफलता का प्रमाण है।” मणिपुर यूनिवर्सिटी के छात्रों ने “गो बैक” नारे लगाए। हालांकि, BJP ने इसे “शांति का संदेश” बताया। पीएम ने रैली में भावुक हो कहा, “भारी बारिश में भी आपका प्यार देखकर कभी नहीं भूलूंगा।”
शांति या सियासत ?
यह दौरा मणिपुर के लिए विकास की उम्मीद जगाता है, लेकिन विपक्ष की नाराजगी बता रही है कि घाव अभी गहरे हैं। पीएम ने समझौतों का हवाला देकर शांति का भरोसा दिया, लेकिन असल परीक्षा तो आने वाले महीनों में होगी। पूर्वोत्तर में BJP की सियासत मजबूत करने के लिए यह दौरा रणनीतिक भी माना जा रहा है। कुल मिलाकर, सौगातें आईं लेकिन सियासी बरसात थमने का नाम नहीं ले रही!