
सरल डेस्क
भारत निर्वाचन आयोग (ECI) ने 13 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट में एक जवाबी हलफनामा दाखिल किया है। यह हलफनामा अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय की जनहित याचिका पर दायर किया गया है। याचिका में मांग की गई थी कि लोकसभा, विधानसभा और स्थानीय निकाय चुनावों से पहले पूरे देश में विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) की प्रक्रिया को समयबद्ध तरीके से लागू करने का निर्देश दिया जाए। याचिकाकर्ता का तर्क था कि SIR से मतदाता सूची को शुद्ध किया जा सकता है, ताकि केवल भारतीय नागरिक ही वोट डाल सकें और अवैध विदेशी घुसपैठिए राजनीति को प्रभावित न कर सकें।
चुनाव आयोग का मुख्य तर्क
आयोग ने सुप्रीम कोर्ट से याचिका खारिज करने का आग्रह किया है। उसके प्रमुख बिंदु इस प्रकार हैं विशेषाधिकार का हवाला SIR प्रक्रिया को चरणबद्ध या समयबद्ध तरीके से कराने का निर्णय पूरी तरह से ECI का संवैधानिक विशेषाधिकार है। सुप्रीम कोर्ट या कोई अन्य अदालत इस पर निर्देश नहीं दे सकती, क्योंकि यह आयोग के क्षेत्राधिकार का अतिक्रमण होगा।
जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 21 के अनुसार, मतदाता सूची का पुनरीक्षण चुनावों से पहले किया जाता है, लेकिन कोई निश्चित समयसीमा नहीं है। इसी प्रकार, मतदाता नियम 1960 का नियम 25 आयोग को परिस्थितियों के आधार पर संक्षिप्त या गहन पुनरीक्षण का विवेक देता है। आयोग ने स्पष्ट किया कि SIR मतदाता सूची से अपात्र व्यक्तियों (जैसे फर्जी वोटर) को हटाकर चुनावों की शुचिता बढ़ाता है। यह प्रक्रिया पारदर्शी है और हर मौजूदा मतदाता को दस्तावेज जमा करने का समान अवसर मिलता है।
बिहार में चल रही SIR प्रक्रिया
यह मामला मुख्य रूप से बिहार में चल रही SIR प्रक्रिया से जुड़ा है, जहां हाल ही में विवाद हुआ था। बिहार में SIR के तहत 7.89 करोड़ मतदाताओं में से 7.24 करोड़ ने नाम की पुष्टि की, लेकिन लगभग 65 लाख मतदाताओं के नाम हटाए जाने पर आपत्तियां उठीं। विपक्षी दलों (जैसे कांग्रेस, RJD) और ADR ने आरोप लगाया कि नाम बिना नोटिस और सुनवाई के हटाए जा रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट के हालिया निर्देश: 8 सितंबर 2025 को SC ने बिहार SIR में आधार कार्ड को पहचान प्रमाण के रूप में अनिवार्य करने का आदेश दिया (हालांकि आधार को नागरिकता प्रमाण नहीं माना)। आयोग को 9 सितंबर तक इसका पालन करने को कहा गया।
आयोग ने कहा कि “कोई भी नाम बिना पूर्व नोटिस, सुनवाई और तर्कपूर्ण आदेश के नहीं हटाया जाएगा। हटाए गए 65 लाख मतदाताओं की बूथवार सूची वेबसाइट पर प्रकाशित की गई है, और दावों का निस्तारण 7 कार्यदिवसों में होगा। अपील का अधिकार ERO और मुख्य निर्वाचन अधिकारी के पास है।
आयोग की वर्तमान तैयारियां
ECI ने 5 जुलाई 2025 को सभी राज्यों (बिहार को छोड़कर) के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों को पत्र लिखा, जिसमें 1 जनवरी 2026 को अर्हता तिथि मानते हुए SIR की पूर्व तैयारियां शुरू करने को कहा गया। 10 सितंबर 2025 को नई दिल्ली में सभी CEO का सम्मेलन भी आयोजित किया गया। आयोग ने जोर दिया कि वह वोटर लिस्ट को पारदर्शी रखने के लिए लगातार काम कर रहा है, और फर्जी वोटर्स को हटाना उसकी संवैधानिक जिम्मेदारी है।
सुनवाई का स्टेटस
सुप्रीम कोर्ट में इस याचिका पर अगली सुनवाई की तारीख अभी स्पष्ट नहीं है, लेकिन आयोग का हलफनामा याचिका को खारिज करने की दिशा में एक मजबूत कदम है। बिहार SIR पर आपत्तियां दर्ज करने की समयसीमा 15 सितंबर तक बढ़ा दी गई है।