
स्पेशल डेस्क
लद्दाख के लेह में 24 सितंबर को राज्यत्व (स्टेटहुड) और संविधान की छठी अनुसूची के तहत सुरक्षा की मांग को लेकर शांतिपूर्ण प्रदर्शन हिंसक हो गया। इस घटना में चार लोगों की मौत हो गई और 70 से अधिक लोग घायल हुए, जिनमें 22 पुलिसकर्मी और सीआरपीएफ जवान शामिल हैं। प्रदर्शनकारियों ने बीजेपी कार्यालय और एक सीआरपीएफ वाहन को आग लगा दी, जबकि पुलिस ने गोलीबारी की। केंद्र सरकार ने जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक को हिंसा का जिम्मेदार ठहराया, आरोप लगाया कि उनकी “भड़काऊ” भाषणों ने भीड़ को उकसाया। वांगचुक ने इसे “जनरेशन ज़ेड (Gen Z) क्रांति” करार दिया, लेकिन बाद में हिंसा की निंदा की और अपनी 15 दिनों की भूख हड़ताल समाप्त कर दी।
वांगचुक लद्दाख आंदोलन के प्रमुख चेहरे
लद्दाख 2019 में जम्मू-कश्मीर से अलग होकर केंद्र शासित प्रदेश बना। तब से स्थानीय लोग राज्यत्व, छठी अनुसूची (आदिवासी क्षेत्रों के लिए स्वायत्तता), नौकरी आरक्षण, अलग लोक सेवा आयोग और लेह-कारगिल के लिए दो संसदीय सीटें जैसी मांगें कर रहे हैं। इन मांगों पर केंद्र की हाई-पावर्ड कमिटी (HPC) कई दौर की बातचीत कर चुकी है, लेकिन कोई बड़ा समझौता नहीं हुआ।
वांगचुक लद्दाख आंदोलन के प्रमुख चेहरे हैं। उन्होंने 10 सितंबर 2025 को भूख हड़ताल शुरू की। केंद्र का आरोप है कि वांगचुक ने “अरब स्प्रिंग” (मध्य पूर्व की क्रांतियां) और नेपाल के हाल के “Gen Z” प्रदर्शनों (जिनमें भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन हिंसक हो गया) का जिक्र कर लोगों को गुमराह किया। गृह मंत्रालय (MHA) ने कहा, “24 सितंबर को सुबह 11:30 बजे वांगचुक की भड़काऊ भाषणों से प्रेरित भीड़ ने भूख हड़ताल स्थल छोड़कर बीजेपी कार्यालय और CEC लेह के सरकारी दफ्तर पर हमला किया।” MHA ने वांगचुक पर व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाओं का आरोप लगाया और कहा कि लद्दाख के युवा “साजिश का शिकार” बने।
क्या है वांगचुक का पक्ष
वांगचुक ने कहा, “यह Gen Z की क्रांति है। युवा बेरोजगार हैं, पांच साल से अधिकारों के लिए लड़ रहे हैं। सरकार ने शांतिपूर्ण प्रदर्शनों को नजरअंदाज किया, इसलिए युवा हिंसा पर उतर आए।” लेकिन हिंसा के बाद उन्होंने अपील की, “हमारा शांतिपूर्ण रास्ता विफल हो गया। युवाओं से अपील है कि हिंसा बंद करें, यह हमारे हित में नहीं।” उन्होंने भूख हड़ताल खत्म कर गांव चले गए।
प्रदर्शनकारियों ने तोड़फोड़ की
प्रदर्शन में स्कूली छात्राएं, कॉलेज छात्र और भिक्षु शामिल थे। दो भूख हड़तालियों की हालत बिगड़ने पर उन्हें अस्पताल ले जाया गया, जिसके बाद भीड़ उग्र हो गई। प्रदर्शनकारियों ने तोड़फोड़ की, आगजनी की और पुलिस से टकराव हुआ। चार मौतें (कुछ रिपोर्टों में पांच), 45 से अधिक घायल। लेह में कर्फ्यू लगाया गया, अतिरिक्त अर्धसैनिक बल तैनात किए गए। स्थिति दोपहर 4 बजे तक नियंत्रित हो गई। बीजेपी ने कांग्रेस पर हिंसा भड़काने का आरोप लगाया, जबकि कांग्रेस ने केंद्र की “उपेक्षा” को जिम्मेदार ठहराया। सोनम वांगचुक पर FCRA उल्लंघन की जांच चल रही है।
केंद्र सरकार के कदम
केंद्र ने कहा कि “लद्दाख की मांगों पर काम हो रहा है:अनुसूचित जनजाति आरक्षण 45% से बढ़ाकर 84%। परिषद में महिलाओं के लिए एक-तिहाई सीटें आरक्षित। भोटी और पुरगी को आधिकारिक भाषा मान्यता। HPC की अगली बैठक 6 अक्टूबर को, 25-26 सितंबर को लेह-कारगिल नेताओं से अनौपचारिक बैठकें।
MHA ने वांगचुक पर कानूनी कार्रवाई का संकेत दिया। सोशल मीडिया और जन प्रतिक्रिया X (पूर्व ट्विटर) पर बहस तेज है। कुछ यूजर्स वांगचुक को “विदेशी एजेंट” बता रहे हैं (उनके पिता कांग्रेस मंत्री थे, और HIAL प्रोजेक्ट पर 37 करोड़ के बकाया का आरोप), जबकि अन्य लद्दाख की मांगों का समर्थन कर रहे हैं। #LehProtest और #LadakhStatehood ट्रेंड कर रहे हैं।
यह घटना लद्दाख के लंबे संघर्ष को नई मोड़ दे रही है। केंद्र बातचीत का दावा कर रहा है, लेकिन स्थानीय असंतोष बरकरार है। जांच जारी है, और उम्मीद है कि हिंसा न दोहराए।