
आयुष गांधी
यूपी डेस्क
मेरठ: चार प्रतिशत स्टांप शुल्क के कारण किरायेदारी अनुबंध को अधिकांश लोग पंजीकृत नहीं कराते हैं। लेकिन अब इन अनुबंध का पंजीकरण खूब होगा। प्रत्येक भवन मालिक और किरायेदार अनुबंध करेंगे और उसे पंजीकृत भी कराएंगे। प्रदेश सरकार ने अनुबंध पर निर्धारित स्टांप शुल्क को 90 प्रतिशत तक कम करने का निर्णय लिया है।
निबंधन अधिकारी इस फैसले से उत्साहित हैं। बुधवार को इसका शासनादेश भी जारी हो गया।अधिकारियों का दावा है कि स्टांप शुल्क में कमी के फैसले से किरायेदारी अनुबंध के पंजीकरण की संख्या दस गुना से भी ज्यादा तक बढ़ सकती है। मेरठ में अभी तक हर महीने मात्र 70 से 80 किरायेदारी अनुबंध ही पंजीकृत हो पाते हैं।
प्रदेश सरकार ने किरायेदारी के विवाद को कम करने के लिए उनके एग्रीमेंट को पंजीकृत कराने के लिए लोगों को प्रोत्साहित करने का निर्णय लिया है। इसके लिए सरकार ने स्टांप शुल्क और निबंधन शुल्क की राशि को 90 प्रतिशत तक कम करने का निर्णय लिया है। सरकार के इस फैसले की सूचना प्रदेश के सभी जनपदों को कई दिन पहले भेजी गई थी।
स्टांप और निबंधन शुल्क
बुधवार को इसका शासनादेश भी जारी कर दिया गया। जिससे मेरठ जनपद के निबंधन अधिकारी भी उत्साहित हैं। उन्होंने बताया कि दो लाख तक के वार्षिक किराया के एक साल के अनुबंध के पंजीकरण में अभी तक स्टांप और निबंधन शुल्क के मद में 10 हजार रुपये का खर्च आता था। सरकार के फैसले के बाद यह राशि मात्र एक हजार रुपये हो जाएगी।
अनुबंध पांच साल का है तो यह शुल्क 30 हजार रुपये होता था जो कि अब मात्र 3 हजार रुपये ही रह जाएगा। 10 वर्ष की अवधि के अनुबंध में यह शुल्क 40 हजार रुपये से घटकर 4 हजार रुपये हो जाएगा। इसी प्रकार दो से छह लाख तक वार्षिक किराया तथा 6 से दस लाख तक वार्षिक किराया राशि के लिए स्टांप शुल्क की राशि को पूर्व निर्धारित शुल्क से केवल दस प्रतिशत निर्धारित किया गया है।