Written by– Sakshi Srivastava
झारखंड विधानसभा चुनाव के पहले चरण में 43 सीटों पर मतदान होने वाला है। इस चरण में विभिन्न राजनीतिक दलों के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिलेगा। प्रमुख पार्टियां जैसे भारतीय जनता पार्टी (BJP), झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM), कांग्रेस और आजसू चुनावी मैदान में हैं। वहीं आपको बता दें झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 के पहले चरण का मतदान आज, 15 जिलों की 43 विधानसभा सीटों पर हो रहा है। इस चरण में कुल 683 उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं। ये चुनाव राज्य की राजनीतिक दिशा तय करने के लिहाज से महत्वपूर्ण माने जा रहे हैं, और वोटिंग प्रक्रिया शांतिपूर्ण ढंग से चलाने के लिए प्रशासन ने सभी तैयारियां पूरी कर ली हैं।
1. कौन-कौन सी सीटें शामिल हैं?
पहले चरण में कुल 43 सीटों पर वोट डाले जाएंगे, जो झारखंड के विभिन्न जिलों जैसे रांची, लोहरदगा, खूंटी, और गढ़वा से जुड़ी हुई हैं। इन क्षेत्रों में आदिवासी और पिछड़ी जातियों की महत्वपूर्ण उपस्थिति है, जिससे चुनावी समीकरण बदल सकते हैं।
झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 के पहले चरण का मतदान आज, बुधवार को हो रहा है। सुबह 11 बजे तक 43 सीटों पर कुल 29.31% मतदान दर्ज किया गया है। इस दौर में चुनावी मैदान में उतरे 683 उम्मीदवारों की किस्मत ईवीएम में कैद हो जाएगी। पहले चरण में सबसे ज्यादा छह सीटें पूर्वी सिंहभूम जिले में हैं, जबकि पलामू, पश्चिमी सिंहभूम और रांची जिलों में पांच-पांच सीटें हैं। कोडरमा और रामगढ़ जिले में सबसे कम, केवल एक-एक सीट पर मतदान हो रहा है। इस चुनाव में राज्य के विभिन्न हिस्सों के मतदाता अपनी पसंद के उम्मीदवारों का चयन करेंगे।
झारखंड विधानसभा चुनाव के पहले चरण में कुछ सीटें खासा चर्चा में हैं, जिनमें सरायकेला, रांची, जमशेदपुर पश्चिम, जगन्नाथपुर और जमशेदपुर पूर्व प्रमुख हैं। इस चरण में चुनावी मुकाबला कुछ बड़े और चर्चित चेहरों के बीच है।
पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन सरायकेला सीट से चुनाव मैदान में हैं, जबकि वह पहले झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के सदस्य थे, लेकिन अगस्त 2024 में भाजपा में शामिल हो गए थे।
जमशेदपुर पश्चिम सीट पर कांग्रेस के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता का मुकाबला जदयू के वरिष्ठ नेता सरयू रॉय से है। सरयू रॉय ने 2019 के चुनाव में तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुबर दास को पराजित किया था, जिससे उनकी प्रतिष्ठा और साख को एक बड़ा बढ़ावा मिला था।
इन सीटों पर हो रहे मुकाबले को लेकर मतदाता उत्साहित हैं और सभी की नजरें इन प्रमुख उम्मीदवारों की ओर हैं।
झारखंड विधानसभा चुनाव के पहले चरण में कई सीटों पर दिलचस्प और हाई-प्रोफाइल मुकाबले हो रहे हैं। जमशेदपुर पूर्व में कांग्रेस के अजॉय कुमार का मुकाबला भाजपा उम्मीदवार पूर्णिमा दास से है, जो पूर्व मुख्यमंत्री रघुबर दास की बहू हैं। यह मुकाबला काफी दिलचस्प है क्योंकि दोनों के बीच प्रतिद्वंद्विता राजनीतिक और पारिवारिक रूप से भी अहम है।
जगन्नाथपुर सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा की पत्नी गीता कोड़ा भाजपा से उम्मीदवार हैं, जबकि उनका सामना कांग्रेस नेता सोना राम सिंकू से होगा। यह मुकाबला स्थानीय राजनीति के लिहाज से महत्वपूर्ण है, क्योंकि दोनों उम्मीदवारों की स्थिति मजबूत मानी जाती है।
रांची सीट पर भाजपा के वरिष्ठ नेता और 1996 से लगातार विधायक रहे चंद्रेश्वर प्रसाद सिंह (सीपी सिंह) का सामना झारखंड मुक्ति मोर्चा की मौजूदा राज्यसभा सांसद महुआ माजी से है। महुआ माजी के लिए यह चुनाव चुनौतीपूर्ण हो सकता है, क्योंकि भाजपा ने रांची सीट पर लंबे समय से अपना दबदबा बनाए रखा है।
इन सीटों पर हो रहे मुकाबले राज्य की राजनीति में महत्वपूर्ण बदलाव का संकेत दे सकते हैं, और इन चुनावों में किसकी जीत होती है, यह भविष्य के राजनीतिक परिप्रेक्ष्य को प्रभावित कर सकता है।
झारखंड विधानसभा चुनाव में मुख्य मुकाबला झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के नेतृत्व वाले महागठबंधन और भाजपा नीत एनडीए (National Democratic Alliance) के बीच देखा जा रहा है। पहले चरण की कुल 43 सीटों में से झामुमो ने 23 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं, जबकि कांग्रेस ने 17 सीटों पर चुनावी मैदान में अपने प्रत्याशी उतारे हैं।
इसके अलावा, लालू प्रसाद यादव की पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल (राजद), महागठबंधन का हिस्सा होते हुए भी पांच सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े किए हैं, जिनमें से दो उम्मीदवार महागठबंधन के खिलाफ भी मैदान में हैं। यह स्थिति महागठबंधन के भीतर कुछ राजनीतिक तकरार और सहयोग की असमानता को दर्शाती है, जो चुनाव परिणामों को प्रभावित कर सकती है।
झारखंड विधानसभा चुनाव के पहले चरण में एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) की तरफ से भी मुकाबला जोरदार नजर आ रहा है। भाजपा ने 43 में से 36 सीटों पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। इसके अलावा, सुदेश महतो की आजसू पार्टी ने चार सीटों पर प्रत्याशी खड़े किए हैं, नीतीश कुमार की जदयू ने दो सीटों पर, और चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) ने एक सीट पर उम्मीदवार उतारा है।
एनडीए के अलावा, अन्य छोटे-छोटे दलों ने भी अपनी भागीदारी बढ़ाने के लिए मैदान में उतरने की कोशिश की है, जिससे मुकाबला और भी दिलचस्प बन गया है। इन छोटे दलों के उम्मीदवार चुनाव परिणामों को प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं, विशेषकर उन सीटों पर जहां प्रमुख पार्टियों के बीच कांटे की टक्कर हो।
इन सभी दलों के बीच बढ़ती प्रतिस्पर्धा राज्य के राजनीतिक परिदृश्य को और जटिल बना देती है, और चुनावी नतीजे पर उनकी भूमिका भी महत्वपूर्ण हो सकती है।
2. मुख्य मुकाबला किसके बीच है?
इस चरण में बीजेपी और झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के बीच मुख्य मुकाबला माना जा रहा है। जहां बीजेपी अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए पूरी ताकत झोंक रही है, वहीं JMM और कांग्रेस गठबंधन की ओर से भी कड़ी चुनौती दी जा रही है। साथ ही, आजसू पार्टी भी अपनी स्थिति मजबूत करने की कोशिश कर रही है।
3. आदिवासी और पिछड़े वर्गों का असर
झारखंड में आदिवासी और पिछड़े वर्गों की बड़ी आबादी है, और इन समुदायों के वोट चुनाव परिणामों को प्रभावित कर सकते हैं। उम्मीदवार इन वर्गों को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए विभिन्न योजनाओं और वादों का सहारा ले रहे हैं।
4. सम्भावित परिणाम
चुनाव में विकास, रोजगार, और सामाजिक न्याय जैसे मुद्दों पर चर्चा हो रही है। उम्मीदवार अपनी चुनावी प्रचार में इन मुद्दों को प्रमुख रूप से उठाते हुए मतदाताओं को अपनी ओर आकर्षित करने की कोशिश करेंगे।
इस पहले चरण के मतदान में झारखंड की राजनीति का भविष्य तय होगा।