Written by -Sakshi Srivastava
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के परिणामों के बाद मुख्यमंत्री पद को लेकर चर्चा तेज हो गई है। इस संदर्भ में आज महायुति (भा.ज.पा. और शिवसेना) के प्रमुख नेता केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात करने वाले हैं। इस बैठक के बाद मुख्यमंत्री के नाम का ऐलान होने की संभावना है।
हालांकि, एक बड़ा सवाल यह है कि क्या भाजपा अपने पास मुख्यमंत्री पद रखेगी, या फिर वह शिवसेना के एकनाथ शिंदे को एक बार फिर मुख्यमंत्री बनाने का फैसला करेगी, जैसा कि उन्होंने पहले किया था। इस मुद्दे पर अभी भी स्थिति स्पष्ट नहीं है, और दोनों दलों के बीच बातचीत जारी है। भाजपा और शिवसेना दोनों ही इस समय मुख्यमंत्री पद को लेकर रणनीतिक चर्चा कर रहे हैं, जिससे यह संभावना बनी हुई है कि दोनों के बीच समझौता हो सकता है।
शिवसेना के वरिष्ठ नेता और विधायक संजय शिरसाट ने हाल ही में एक बयान में कहा है कि नई सरकार में शिवसेना के प्रमुख, एकनाथ शिंदे, का उप मुख्यमंत्री पद लेना मुश्किल होगा। उनका कहना था कि शिंदे, जो पहले मुख्यमंत्री रह चुके हैं, को डिप्टी सीएम बनाना उचित नहीं होगा। शिरसाट ने स्पष्ट किया कि शिंदे कैबिनेट का हिस्सा जरूर होंगे, लेकिन शिवसेना डिप्टी सीएम पद के लिए किसी अन्य नेता का नाम सुझाएगी।
इस बयान से यह साफ होता है कि शिवसेना अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए डिप्टी सीएम पद पर अपनी अलग पहचान चाहती है, और शायद वह इस पद के लिए किसी अन्य योग्य नेता को प्रस्तावित कर सकती है। यह बयान महाराष्ट्र की सियासी स्थिति को लेकर और भी जटिलताएं उत्पन्न करता है, खासकर भाजपा और शिवसेना के बीच सत्ता साझेदारी को लेकर।
शिवसेना के सांसद श्रीकांत शिंदे ने अपने पिता और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे पर गर्व व्यक्त करते हुए कहा कि उन्होंने गठबंधन धर्म के लिए अपनी व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाओं को दरकिनार कर दिया। एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट करते हुए श्रीकांत शिंदे ने लिखा कि उनके पिता का महाराष्ट्र के लोगों के साथ गहरा और अटूट संबंध है। उन्होंने हमेशा समाज के विभिन्न वर्गों के लिए दिन-रात मेहनत की, और उनके योगदान को लेकर उन्हें गर्व है।
श्रीकांत ने अपने पिता की इस प्रतिबद्धता और उनकी सार्वजनिक सेवा की सराहना की, जो राज्य के लोगों के प्रति उनके समर्पण को दर्शाता है। यह बयान एकनाथ शिंदे के नेतृत्व की न केवल राजनीतिक, बल्कि सामाजिक प्रतिबद्धता को भी उजागर करता है, जो उन्हें अपने समर्थकों और परिवार के बीच एक सम्मानित और प्रेरणादायक नेता बनाता है।
शिवसेना (यूबीटी) की उपनेता सुषमा अंधारे ने एकनाथ शिंदे पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि शिंदे ने भाजपा के भारी दबाव में मुख्यमंत्री पद पर बने रहने के लिए कदम उठाया। अंधारे ने कहा कि अगर शिंदे सच में “बड़ा दिल” दिखाना चाहते, तो उन्हें 23 नवंबर को चुनाव परिणामों के बाद, जब भाजपा के पास बहुमत था, उस समय ही कोई फैसला लेना चाहिए था। लेकिन उन्होंने आरोप लगाया कि शिंदे ने भावनात्मक ब्लैकमेलिंग का सहारा लिया और आखिरी वक्त तक मुख्यमंत्री पद पाने की कोशिश करते रहे।
सुषमा अंधारे के इस बयान से यह स्पष्ट होता है कि शिवसेना (यूबीटी) में एकनाथ शिंदे के नेतृत्व और उनके निर्णयों को लेकर असंतोष और आलोचना का माहौल है। उनके मुताबिक, शिंदे ने भाजपा के दबाव में आकर अपने राजनीतिक कदम उठाए, जो उनके विचार से सही नहीं था।