
स्पेशल डेस्क
कनाडा के सरे (ब्रिटिश कोलंबिया) में खालिस्तानी समर्थकों ने एक तथाकथित ‘खालिस्तान दूतावास’ स्थापित किया है, जिसे ‘रिपब्लिक ऑफ खालिस्तान’ का नाम दिया गया है। यह दूतावास गुरुनानक सिख गुरुद्वारे के सामुदायिक केंद्र के एक हिस्से में बनाया गया है और इसे खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर के समर्थन में बनाया गया है, जिसकी जून 2023 में सरे में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस इमारत पर निज्जर के पोस्टर लगाए गए हैं, और यह कदम प्रतिबंधित संगठन ‘सिख फॉर जस्टिस’ (SFJ) द्वारा घोषित सिख जनमत संग्रह से पहले उठाया गया है। भारतीय जांच एजेंसियां इस घटना पर कड़ी नजर रख रही हैं, क्योंकि यह भारत-कनाडा संबंधों में सुधार की कोशिशों के बीच एक नया विवाद खड़ा कर सकता है।
हरदीप सिंह निज्जर की हत्या
निज्जर, खालिस्तान टाइगर फोर्स (KTF) का प्रमुख, भारत द्वारा आतंकी घोषित था। उसकी हत्या के बाद तत्कालीन कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने भारत पर हत्या में शामिल होने का आरोप लगाया था, जिसे भारत ने सिरे से खारिज कर दिया। कनाडा ने इस मामले में मई 2024 में तीन भारतीय नागरिकों—करण बराड़, कमलप्रीत सिंह और करणप्रीत सिंह—को गिरफ्तार किया, लेकिन भारत की संलिप्तता के कोई ठोस सबूत नहीं दिए।
ट्रूडो का रुख
ट्रूडो की सरकार पर भारत ने वोट-बैंक की राजनीति के लिए खालिस्तानी समर्थकों के प्रति नरम रवैया अपनाने का आरोप लगाया। ट्रूडो ने स्वीकार किया था कि कनाडा में खालिस्तानी समर्थक मौजूद हैं, लेकिन वे पूरे सिख समुदाय का प्रतिनिधित्व नहीं करते।
मार्क कार्नी का शासन
जस्टिन ट्रूडो के जनवरी 2025 में इस्तीफे के बाद मार्क कार्नी कनाडा के नए प्रधानमंत्री बने। उनके कार्यकाल में भारत-कनाडा संबंधों में सुधार की उम्मीद थी, विशेष रूप से कार्नी द्वारा पीएम नरेंद्र मोदी को G7 शिखर सम्मेलन में आमंत्रित करने के बाद। हालांकि, इस फर्जी दूतावास की स्थापना से लगता है कि खालिस्तानी गतिविधियां अब भी जारी हैं, जिससे संबंधों में सुधार की राह मुश्किल हो सकती है।
अलगाववाद और हिंसा को बढ़ावा
यह कथित दूतावास भारत विरोधी गतिविधियों को बढ़ावा दे सकता है, क्योंकि SFJ जैसे संगठन कनाडा में सक्रिय हैं और जनमत संग्रह के जरिए खालिस्तान आंदोलन को हवा देने की कोशिश कर रहे हैं।
भारत ने बार-बार कनाडा से खालिस्तानी तत्वों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है, लेकिन कनाडा की कथित निष्क्रियता ने तनाव बढ़ाया है। भारत का कहना है कि खालिस्तानी संगठन, जैसे KTF, SFJ, और बब्बर खालसा इंटरनेशनल, कनाडा की धरती से अलगाववाद और हिंसा को बढ़ावा दे रहे हैं।
पुलिस पर पक्षपात का आरोप
कनाडा में भारतीय समुदाय, खासकर हिंदू मंदिरों पर हाल के हमलों के बाद, खालिस्तानी गतिविधियों से चिंतित है। इन हमलों में खालिस्तानी समर्थकों द्वारा हिंसा और तोड़फोड़ की घटनाएं शामिल हैं, जिनमें पुलिस पर पक्षपात का आरोप भी लगा।
यह फर्जी ‘खालिस्तान दूतावास’ कनाडा में खालिस्तानी समर्थकों की सक्रियता का ताजा उदाहरण है, जो भारत-कनाडा संबंधों को और जटिल बना सकता है। कार्नी के नेतृत्व में संबंध सुधार की कोशिशें चल रही हैं, लेकिन खालिस्तानी गतिविधियों पर अंकुश न लगने से भारत की चिंताएं बरकरार हैं। भारतीय जांच एजेंसियां इस घटनाक्रम पर नजर रख रही हैं, और यह देखना बाकी है कि कनाडा इस मुद्दे पर क्या रुख अपनाता है।